बरसात में डूबती दिल्ली

— नीतीश धीमान, जवाली

दिल्ली का बरसात में हल्की बारिश से ही डूबना इसकी निकासी व्यवस्था की बदहाल स्थिति को उजागर करता है, साथ ही यहां के प्रशासन की नाकामयाबियों को बयां करता है। दिल्ली की यह हालत उन अधिकारियों की नाक के नीचे ही हुई है, जो स्वयं की जिम्मेदारियों का दंभ भरते नहीं थकते हैं। जब दिल्ली ने विकास के नाम पर लगी दौड़ में ऊंचाइयों को चूमने का इरादा बनाया था, तो शायद दिल्ली अपनी सीमाओं को दरकिनार कर बैठा। थोड़ी बारिश में ही दिल्ली की निकासी व्यवस्था दम तोड़ने लगी है, इससे आम जनजीवन थम गया है। दिल्ली को डूबने से बचाने की जिम्मेदारी प्रशासन की बनती है, तो ऐसे में प्रशासन को यह समझने की जरूरत है कि हर बार सुप्रीम कोर्ट ही समस्याओं का पहरेदार क्यों बने, चाहे वह समस्या ताजमहल की हो या दिल्ली की निकासी व्यवस्था की। अगर देश को सही ढंग से चलाना है, तो दिल्ली ही नहीं हर राज्य प्रशासन को कागजों से बाहर निकलकर ही प्रयास करने होंगे, तभी कुछ सकारात्मक असर देखने को मिल सकेंगे। कम से कम अब तो दिल्ली प्रशासन को जाग जाना चाहिए। देखना यह है कि प्रशासन दिल्ली के डूबने से सबक लेकर इसकी निकासी व्यवस्था को सुधारेगा, या दिल्ली अगले साल भी ऐसे ही डूबेगी।