बीमारियां तो होंगी ही

श्रीशा, कांगड़ा

हिमाचल में डेंगू का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हर रोज ऐसे कई मामले सुनने को मिलते हैं कि पीलिया, डायरिया और डेंगू से इतने लोगों की मौत हो गई। हालांकि संबंधित विभाग हर साल डेंगू से निपटने के लिए बरसात शुरू होने से पहले ही अपनी कमर कस लेता है, लेकिन इसके बावजूद यहां पर हर साल डेंगू के काफी मरीज सामने आते हैं। एक तरफ सरकार दावा करती है कि लोगों को पीने के लिए स्वच्छ पानी मिलेगा, लेकिन होता इसके उलट है। अब बीमारी की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य प्रशासन लोगों की स्थिति का जायजा ले रहा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि लोगों में स्वच्छता को अनदेखा करने के कारण ही बीमारी अपने पैर पसार रही है। क्या हम ऐसा कुछ नहीं कर सकते हैं कि ऐसे हालात पैदा ही न हों। फोटोशूट के लिए स्वच्छता अभियानों का आयोजन करने के स्थान पर इसे जमीनी स्तर पर अपनाया जाएगा, तभी किसी लाभ की उम्मीद की जा सकती है। जिस हिमाचल में हरियाली को चारों ओर देखा जा सकता है, वहीं हिमाचल में जगह-जगह कूड़े-कर्कट के ढेर देखना भी नई बात नहीं है। स्वच्छता, जनता के स्वास्थ्य और संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए नगर निगम उत्तरदायी होता है, परंतु यह विभाग भी अपने उत्तरदायित्व को नहीं समझता है। आज भी अधिकतर सड़कों पर पड़े कचरे के ढेरों को देखा जा सकता है। हालांकि जब तक लोग कचरा फैलाने से गुरेज नहीं करेंगे, तब तक हिमाचल स्वच्छ नहीं हो सकता है। भारत में प्लास्टिक का खतरा भी इसी वजह से मंडरा रहा है, क्योंकि हमारे पास इसके निपटारे का कोई समाधान नहीं है। अतः सरकार को इसका समाधान ढूंढना होगा, तभी बीमारियों का बढ़ता यह जाल कम होगा।