भीड़तंत्र को रोकना जरूरी

रूप सिंह नेगी, सोलन

सर्वोच्च न्यायालय का केंद्र सरकार को भीड़ की गुंडागर्दी पर शिकंजा कसने और इससे निपटने के लिए उपचारात्मक और दंडात्मक दिशा-निर्देश जारी करना सराहनीय कदम है। पिछले कुछ सालों से भीड़ की करतूतों की वजह से कुछ बेगुनाह लोग भी मारे जा रहे हैं। देश में गुंडागर्दी इस कदर बढ़ रही है कि आम आदमी स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहा है। इस आशंका को रद्द नहीं किया जा सकता है कि गुंडागर्दी फैलाने वाले तत्त्वों को नेताओं का संरक्षण न मिलता हो। हाल में हुए बच्चा चोर शक में दिव्यांग महिला की पिटाई दुखद घटना है। हाल में ही स्वामी अग्निवेश का भीड़ की पिटाई का शिकार होना  और इसमें किसी दल के कार्यकर्ताओं एवं उस दल के विद्यार्थी संगठन का हाथ होना दुर्भाग्य की बात है। इन वारदातों की निंदा होनी चाहिए और ऐसे दलों को उनके किए की सजा भी मिलनी चाहिए। कथित  राजनीतिक दलों को शर्म आनी चाहिए, जो ऐसी हरकतें करके राजनीति को चमकाने की होड़ में होते हैं। अतः सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह इस मामले में सख्त कार्रवाई करे, ताकि फिर से किसी निर्दोष को इसका शिकार न होना पड़े।