मन एकाग्र करके अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें

समय उनके लिए अच्छा चलता है, जो समय के साथ चलते हैं और उनके लिए खराब चलता है, जो समय से पीछे चलते हैं या तेज भागने की कोशिश करते हैं। जब तक टाइम मैनेजमेंट नहीं होता, तब तक समय हमारे नियंत्रण के बाहर चलता रहेगा। अतः लंबे समय तक काम को टालमटोल नहीं करना चाहिए…

जिंदगी हमेशा आगे बढ़ने का नाम है और हम सभी आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन उनमें कुछ ही लोग सफलता की सीढ़ी पर चढ़ कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाते हैं। बाकी लोग बहुत नीचे की सीढ़ी तक सफर तय कर पाते हैं। इसके कुछ खास कारण हैं जो लोग पीछे रह जाते हैं।

कल्पना – कल्पना सीढ़ी का पहली उड़ान है, अगर हमें जीवन में कुछ करना है तो सबसे पहले उस लक्ष्य की कल्पना अपने मन में करनी होगी तभी जाकर हम अपने लक्ष्य के नजदीक पहुंच सकते हैं।

तीव्र इच्छा – यह उस मनुष्य पर निर्भर करता है कि हम अपने सपने को किस ऊंचाई तक सोचते हैं। यह भी हमें खुद ही सोचना है कि हम ढेर सारी चीजों को पाने की इच्छा में अपनी शक्ति खर्च करें या किसी एक लक्ष्य को पाने की इच्छा में अपनी पूरी शक्ति खर्च करें।

पूर्ण लगन- सफलता के रास्ते पर व्यक्ति की गाड़ी पटरी पर तभी चलती है, जब तक इसमें लगन एवं उत्साह के साथ करे। सफलता की पहली शर्त, पहला सूत्र यह है कि सफलता की ऐसी चाहत होनी चाहिए जैसे जीवन के लिए प्राणवायु की। सफलता का रहस्य ध्येय की दृढ़ता में है।

समय के पाबंद रहें –समय की महत्ता दर्शाते ढेरों कहावतें, मुहावरे दुनिया में मिल जाते हैं, लेकिन इस पर कोई अम्ल नहीं करता है। समय उनके लिए अच्छा चलता है, जो समय के साथ चलते हैं और उनके लिए खराब चलता है, जो समय से पीछे चलते हैं या तेज भागने की कोशिश करते हैं। जब तक टाइम मैनेजमेंट नहीं होता, तब तक समय हमारे नियंत्रण के बाहर चलता रहेगा। अतः लंबे समय तक काम को टालमटोल नहीं करना चाहिए।

कार्य योजना -बिना कार्य योजना के दृढ़ संकल्प सिर्फ एक मानसिक क्रिया बन कर रह जाता है और यथार्थ में बदल नहीं पाता। जीवन में किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए उसकी सही और पूरी कार्ययोजना पहले से तैयार रखना बहुत जरूरी है।

एकाग्रता – जिस तरह अर्जुन को सिर्फ  चिडि़या की आंख ही दिखी थी, उसी तरह हमें भी सिर्फ  अपना लक्ष्य ही दिखना चाहिए। मन एकाग्र करके अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए।

परिश्रम- सिर्फ सोचने और योजना बनाने मात्र से ही लक्ष्य नहीं पाया जा सकता। उसके लिए परिश्रम करना पड़ता है, वह भी कठिन।

ईमानदारी और उदारता -कोई भी सामाजिक गतिविधि जनसहयोग के बगैर पूरी नहीं होती। यदि हम दूसरों के दिल में स्थायी जगह चाहते हैं, तो इसका आधार हमारे ईमानदारीपूर्ण काम से ही मिल पाता है।

कभी दूसरों की नकल न करें- सफलता उन्हीं को मिलती है, जो अपने मार्ग का स्वयं निर्माण करते हैं और उस पर जनसमूह को ले जाते हैं। वे किसी की नकल नहीं करते हैं। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में ये मूल मंत्र आपको चामत्कारिक सफलता दे सकते हैं, लेकिन मात्र मूल मंत्र पढ़ लेने से सफलता नहीं मिल जाती। इसके लिए सतत प्रयास, अवलोकन और अभ्यास से ही सफलता के ये सूत्र सिद्ध हो सकते हैं।