गोविंद ठाकुर : देखिए, अगर आप प्रदेश के लोगों की भलाई करना चाहते हैं, तो जितनी भी जिम्मेदारियां मिलें कम हैं। वैसे भी जब जिम्मेदारी को मिशन बना लिया जाए, तो तालमेल खुद बनता चला जाता है।
दिहि : सबसे पहले बात वन विभाग की करें, तो चीड़ प्रमुख समस्या है? क्या अभी भी चीड़ के पौधे रोपने पर जोर है?
गोविंद ठाकुर : बिलकुल नहीं। जो गलती अतीत में हुई है, उसे नहीं दोहराएंगे। हम क्षेत्र की जलवायु के हिसाब से रिकार्ड पौधारोपण कर रहे हैं। इनमें मेडिसिनल और फू्रट प्लांट भी शामिल हैं, पर जंगलों को सुलगाने वाला चीड़ हरगिज नहीं।
दिहि : जंगल हर साल सुलग रहे हैं। आपका विभाग इस विषय में क्या तैयारी कर रहा है?
गोविंद ठाकुर : अगले साल से पिकअप गाडि़यों में पानी की भरी टंकी रख सड़क किनारे की आग बुझाएंगे। दुर्गम क्षेत्रों में हेलिकाप्टर से पानी बरसाया जाएगा। पुरानी फायर लाइंस ठीक करेंगे और फायर वाचर को जूतों सहित संपूर्ण सुरक्षा किट देंगे। आप अगले साल ये सभी बदलाव देखेंगे।
दिहि : वन कर्मी अगर सुरक्षा को पिस्तौल खरीदेगा तो सरकार 12 हजार सबसिडी देगी, पर दो लाख का पिस्तौल खरीदने को कर्मचारी बाकी पैसे कहां से लाएगा?
गोविंद ठाकुर : सरकार की यह योजना अभी पायलट आधार पर जारी की गई है। सब मसले देखकर भविष्य में सबसिडी बढ़ाई जाएगी।
दिहि : वन विभाग का दावा है कि नसबंदी से एक लाख बंदर कम हो गए, पर प्रदेश की जनता हरगिज सहमत नहीं। क्या कहेंगे?
गोविंद ठाकुर : नसबंदी के परिणाम दिखने में थोड़ा समय लगता है। लोगों को बंदर मारने की अनुमति दी गई थी, पर लोग इसके लिए सहमत नहीं हुए। कर्मचारियों की भी धार्मिक मान्यताएं हैं और उन्हें भी विवश नहीं किया जा सकता। अगले महीने देश भर के विशेषज्ञ बुलाए हैं, कोई हल निकालेंगे।
दिहि : विभाग परिवहन है, पर अतीत में देखा गया है कि संबंधित मंत्री महज एचआरटीसी के ही होकर रह जाते हैं, आपका क्या रुख रहेगा?
गोविंद ठाकुर : कार्यभार संभालते ही मैंने प्रदेश की सभी 26 ट्रक यूनियनों से बात कर उनका हाल जाना। आप बताएं, हिमाचल में बने सीमेंट की बोरी बाहर 40 रुपए सस्ती और प्रदेश में इतनी ही महंगी क्यों? क्या इसमें ट्रक आपरेटरों का कसूर है? हम सबकी सुन रहे हैं।
दिहि : अरसे से जंग खा रही नीली बसों का भविष्य क्या है?
गोविंद ठाकुर : माननीय उच्च न्यायालय की निगरानी में इन बसों का धीरे-धीरे सड़कों पर उतरना शुरू हो गया है। सभी 315 बसें अगले 15 दिन में क्लस्टर के आधार पर परिचालन आरंभ कर देंगी।
दिहि : परिवहन विभाग में नया क्या कर रहे हैं?
गोविंद ठाकुर : हम प्रदेश में मोटरबाइक टैक्सी का नया कॉन्सेप्ट लाए हैं। बेरोजगार नौजवान कम लागत में अपनी बाइक का टैक्सी नंबर ले पाएंगे और वैद्य रूप से कमाई कर सकेंगे। इससे लोगों को भी फायदा होगा।
दिहि : वाटर ट्रांसपोर्ट या वाटर स्पोर्ट्स पर आपका विभाग क्या रुख अपनाएगा?
गोविंद ठाकुर : अध्ययन में पाया गया है कि बड़े स्वर पर वाटर ट्रांसपोर्ट हिमाचल में फायदेमंद नहीं। हां छोटे-छोटे हिस्सों में ऐसा संभव है। गोबिंद सागर और पौंग में वाटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देंगे। यहां लोगों को होम स्टे जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाने को प्रोत्साहित करेंगे।
दिहि : प्रदेश में खेल संघों पर कुछ नेताओं का नियंत्रण है। खेल विधेयक लाएंगे इस संबंध में?
गोविंद ठाकुर : खेल संघों को अनुभवी खिलाड़ी चलाएं तो सर्वोत्तम होगा। कुछ पर नेताओं का नियंत्रण जरूर है, लेकिन ऐसे चंद मामलों के कारण सब पर शिकंजा कसना जायज नहीं होगा।
दिहि : खली के रेस्लिंग शो पर खूब सवाल उठे, लेकिन आप समर्थन में थे। ऐसा क्यों?
गोविंद ठाकुर : समझने की बात है कि खली हिमाचल का बेटा है, जिसने देश-दुनिया में प्रदेश का नाम ऊंचा किया। बेशक उनकी कुश्ती रजिस्टर्ड खेल नहीं, पर इसमें छिपी मेहनत और मनोरंजन सिरे से नकारा नहीं जा सकता।
दिव्य हिमाचल : …लेकिन दूसरे खेलों में उपलब्धियां बटोर रहे हिमाचली खिलाड़ी उपेक्षा का आरोप क्यों लगाते हैं?
गोविंद ठाकुर : किसी को उपेक्षित नहीं रखा जाएगा और यह हमारा वादा है। हम खिलाडि़यों के लिए नौकरी सहित उचित सम्मान के समर्थक हैं। अगस्त माह में प्रदेश भर के प्लेयर्ज के लिए शानदार सम्मान समारोह आयोजित कर रहे हैं।
दिव्य हिमाचल : ….प्रदेश में और खेलों को बढ़ावा कैसे मिलेगा?
गोविंद ठाकुर : प्रदेश में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी को जमीन तलाश रहे हैं। उम्मीद है, जल्द सफल होंगे। साथ ही सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक मैदान भी बनेगा।
दिव्य हिमाचल : ईको टूरिज्म प्रदेश के लिए बड़ी संभावना है। देश भर के पर्यटक भारी संख्या में विशेष रूप से युवा हिमाचल के अनछुए स्थानों जैसे शिकारी देवी और त्रियूंड में जुट रहे हैं। सरकार इस संबंध में क्या सोच रही है?
गोविंद ठाकुर : आपका सवाल बिलकुल सही है। हमें विभिन्न चुनौतियों के बावजूद नए स्थान तलाश कर ईको टूरिज्म को बढ़ावा देना होगा। समस्या यह है कि प्रदेश आरंभ में पर्यटन के लिए माकूल ढांचा तैयार नहीं कर पाया, इसलिए चुनौतियां दरपेश हैं, लेकिन हम हल निकालेंगे। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे स्थानों पर केवल प्रकृति प्रेमी पर्यटक ही पहुंचें।
दिहि : क्या आपका विभाग और सरकार ट्रांसपोर्ट नगरों की स्थापना को गंभीर है?
गोविंद ठाकुर : बिलकुल। ट्रांसपोर्ट नगर अत्यंत आवश्यक है। दाड़लाघाट और बद्दी में लैंड ट्रांसफर का दौर जारी है। इसके अलावा कुछ और स्थानों पर भी ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता है। हमारे पास निवेशक आ रहे हैं, लेकिन समस्या यह है कि अधिकांश भूमि वन विभाग की है, जिसे हासिल करना कठिन है। हम ट्रांसपोर्ट नगरों की अहमियत को भलीभांति समझते हैं, इसलिए हम भूमि संबंधी मसले निपटाने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
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