रंग बदलते ही तोड़ लें टमाटर

फल मक्खी टमाटर एवं कद्दू वर्गीय सब्जियों की एक प्रमुख समस्या है। ये मक्खियां सीधा फलों पर आक्रमण करती हैं और एक अनुमान के अनुसार लगभग 40-50 प्रतिशत तक फलों को हानि पहुंचाती हैं। आजकल इनका आक्रमण काफी बढ़ जाता है। इन मक्खियों की पहचान बहुत जरूरी है, ताकि हमारे किसान भाई एवं बहनें जब इसे अपने खेत में देखें तो इसके नियंत्रण के लिए विभिन्न उपाय कर सकें।

पहचान एवं लक्षण : ये मक्खियां घरेलू मक्खी से कुछ बड़ी तथा रंगीन होती हैं तथा इसके पारदर्शी पंखों पर काले धब्बे नजर आते हैं। मादा मक्खी के शरीर के अंतिम सिरे पर एक नुकीला भाग (ओविपासिटर) होता है, जिसके द्वारा यह फल के भीतर अंडे देती है। अंडे फल की आरंभिक अवस्था में तीन-चार मिमी की गहराई पर दिए जाते हैं, जिनसे दो-तीन दिन में शिशु (मैगट) निकल कर गूदा खाना शुरू कर देते हैं। ये शिशु सफेद रंग के होते हैं तथा ऊपरी सिरे की तरह नुकीले एवं पिछले भाग पर गोल होते हैं। दस दिन के भीतर ये शिशु अपनी मैगट अवस्था पूर्ण कर लेते हैं तथा उसके बाद जमीन में प्रवेश कर प्यूपा अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं। इसके 10-15 दिन बाद प्यूपा मक्खी में परिवर्तित हो जाते हैं। टमाटर में मक्खी का आक्रमण फल पकने के समय होता है। बाहर से टमाटर स्वस्थ प्रतीत होता है, परंतु यदि इसे थोड़ा सा दबाया जाए तो पानी के बुलबुले से फल की डंडी के पास से बाहर निकलते नजर आते हैं। प्रभावित फल सड़ने लग जाते हैं तथा खाने योग्य नहीं रहते। घीया और खीरे के फल बाद की अवस्था में विकृत हो जाते हैं। ये मक्खियां एक वर्ष में पांच-छह बार अपनी जीवन चक्र पूरा कर लेती हैं। ठंड में इस कीट की संख्या कम हो जाती है।

प्रबंधन : यदि फल मक्खी ने एक बार फल के भीतर अंडे दे दिए, तो इसका नियंत्रण नहीं किया जा सकता। इसलिए आवश्यक है कि इस कीट का नियंत्रण अंडे देने से पहले कर लें। अन्यथा हम अपने संसाधनों जैसे कीटनाशक रसायन इत्यादि को व्यर्थ ही करेंगे तथा हमारा वातावरण भी दूषित होगा एवं स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा। इस नाशी कीट के प्रबंधन हेतु विभिन्न प्रकार के उपाय अपनाने होंगे, ताकि क्षति कम हो। इस में कीटनाशक दवाओं के अतिरिक्त अन्य तरीकों पर भी जोर देना होगा। प्रबंधन हेतु निम्नलिखित उपाय करेंः-

– टमाटर जब हरे से लाल रंग की तरफ परिवर्तित होने लगे तो उन्हें तोड़ लें। ज्यादा समय के लिए फल को पौधे पर न रखें, अन्यथा आक्रमण अधिक होगा।

– प्रभावित फलों को एकत्र कर लगभग डेढ़ फुट गहरे गड्ढे में दबा दें तथा ऊपर से मिट्टी से ढक दें, ताकि मक्खियां जमीन से न निकल सकें। इस कार्य को लगभग दस दिन के अंतराल पर करें।

-आकर्षक गंधपाश का प्रयोग भी किया जा सकता है। क्लोलयोर नामक रसायन सब्जियों में नर मक्खियों को अपनी ओर आकर्षित करता है तथा गंधपाश में कीटनाशक इन्हें मार देता है। इसके प्रयोग के लिए प्लाईबोर्ड के टुकड़े (लगभग 5×1.5×1.5 सेंमी) को इथायल एल्कोहल, क्यूल्योर एवं मैलाथियॉन 50 ईसी (6:4:1) के अनुपात में घोल बनाकर लगभग 48 तक डुबो कर रखें। बाद में इस टुकड़े को प्लास्टिक की बोतल में डाल दें तथा सब्जियों के खेतों में 21 बीघा की दर से टांग दें। नर मक्खियां इसमें आकर्षित होकर मर जाती हैं। बोतल से हर सप्ताह मक्खियों को एकत्र कर बोतल को खाली करें।

-आक्रमण के समय मैलाथियॉन 50 ईसी दवा का 20 मिली/10 लीटर पानी में घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करें। ध्यान रहे कि फल या तो छिड़काव से पहले तोड़ लें, अन्यथा कम से कम सात दिन तक इंतजार करें।

—डा. दिवेंद्र गुप्ता एवं डा. गगनदीप सिंह कीट विज्ञान विभाग, यूएचएफ, नौणी