वन रैंक-वन पेंशन में अब नहीं होगा बदलाव

केंद्र सरकार ने किया पुनर्विचार से इनकार, सुप्रीम कोर्ट को मामले में दखल न देने की सलाह

नई दिल्ली— केंद्र सरकार ने वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) के मुद्दे पर पुनर्विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। केंद्र सरकार ने न्यायालय को बताया कि ओआरओपी में किसी तरह का बदलाव नहीं हो सकता, क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। केंद्र सरकार ने न्यायालय से आग्रह किया कि वह इस मामले में दखल न दे। मामले पर चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी। याचिका इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट ने दायर की है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार वन टाइम वन पेंशन की बजाय वन टाइम डिफरेंट पेंशन प्रस्तावित कर रही है। इस स्कीम से पुराने पेंशनर अपने जूनियर एक्ससर्विसमैन से कम पेंशन पाएंगे। याचिका में कहा गया है कि केंद्र की बनाई वन रैंक-वन पेंशन योजना कोश्यारी कमेटी की सिफारिशों पर आधारित नहीं है। याचिका में मोदी सरकार की वन रैंक-वन पेंशन योजना को असंवैधानिक और गैरकानूनी करार देने का न्यायालय से अनुरोध किया गया है। उधर, एक अन्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) और राज्य सूचना आयोगों में रिक्त पदों को भरने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में उसे चार हफ्ते में अवगत कराने का केंद्र सरकार एवं संबंधित राज्य सरकारों को निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग एवं राज्य आयोगों के रिक्त पदों को लेकर शुक्रवार को गहरी नाराजगी जताई और केंद्र सरकार तथा प्रतिवादी सात राज्यों को चार हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल करके यह बताने का निर्देश दिया है कि खाली पदों पर कितने समय के अंदर नियुक्तियां हो जाएंगीं एवं इसके लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं। खंडपीठ ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग में इस समय चार पद खाली हैं और दिसंबर तक चार अन्य खाली हो जाएंगे।

याचिकाकर्ता ने उठाए थे ये सवाल

 सरकार की वन टाइम-डिफरेंट पेंशन नीति से पुराने पेंशनर अपने जूनियर एक्ससर्विसमैन से कम पेंशन पाएंगे

 केंद्र सरकार की बनाई वन रैंक-वन पेंशन योजना कोश्यारी कमेटी की सिफारिशों से बिलकुल विपरीत