साहित्यकारों ने याद किए रणबांकुरे

शिमला में कारगिल विजय दिवस पर कवि संगोष्ठी में वीरों पर लिखे साहित्य पर विचार

शिमला— पूरे देश भर में जहां कारगिल विजय दिवस अलग-अलग रूप से मनाया गया, वहीं शिमला में भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। शिमला के रिज के साथ बुक कैफे में प्रदेश के जाने-माने साहित्यकारों ने शहीदी दिवस के उपलक्ष्य पर कवि संगोष्ठी का आयोजन किया। इस दौरान लगभग 15 साहित्यकारों ने सबसे पहले मौन धारण कर शहीद सैनिकों की कुर्बानियों को श्रद्धाजंलि प्रदान की। कवि गोष्ठी के दौरान साहित्यकारों ने प्रदेश के सपूतों के नाम पर लिखे गए साहित्य ओर कहानियों पर अपने-अपने विचार रखे। प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार एसआर हरनोट ने कहा कि इस संगोष्ठी का मकसद यही है कि साहित्य के माध्यम से प्रदेश के वीर सपूतों को याद किया जा सके और उनकी कुर्बानियों को देश के हर कोने-कोने तक पहुंचाया जा सके। इस दौरान वरिष्ठ साहित्यकार सुदर्शन वशिष्ठ ने कहा कि प्रदेश सरकार शहीदों के परिवारों की आर्थिक मदद तो करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे समय बितता जाता है, वैसे-वैसे प्रदेश के वीर सपूतों के परिवारों की अनदेखी की जाती है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि आज शहीद हुए परिजन सरकार के खिलाफ हमेशा नराजगी ही जाहिर करते हैं। संगोष्ठी में मौजूद सभी कवियों ने अपने-अपने विचार रखें। इस मौके पर साहित्यकार एसआर हरनोट, सुदर्शन विशिष्ट, केआर भारती, आत्मारंजन, सुमितराज विशिष्ठ, कौशल मुगटा, दिनेश शर्मा, उर्मिला चंदेल, वंदना भागड़ा, ऊमा ठाकुर, देवकन्या ठाकुर व अन्य कवि और साहित्यकार मौजूद रहे।