सेनेटरी नैपकिन वेडिंग मशीन जरूरी

सरकारी-निजी शिक्षण संस्थानों को निर्देश, कैंपस में दें सुविधा

 सोलन— हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक सरकारी व निजी शैक्षणिक संस्थानों को अब छात्राओं व महिलाओं के लिए कैंपस में ही सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध करवाकर उसे बाजार से कम दामों पर बेचना होगा। इसके साथ-साथ वातावरण दूषित होने से बचाने के लिए प्रयोग किए गए नैपकिन को कैंपस में ही डिस्पेंसर लगाकर नष्ट करना अनिवार्य कर दिया है। प्रमुख पहलू यह है कि पूरे तामझाम को खरीदने के लिए दिल्ली की एक फर्म एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड को अधिकृत किया गया है। भारत सरकार के स्वच्छता अभियान के तहत प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान को अब 72 हजार 775 रुपए की राशि अपने कैंपस में सेनेटरी नैपकिन डिस्पेंसर व इंसीनरेटर के ऊपर खर्च करनी पड़ेगी। हिमाचल प्रदेश महिला आयोग द्वारा इस आशय के पत्र निजी शिक्षण नियामक आयोग की मार्फत प्रत्येक विश्वविद्यालयों व शैक्षणिक संस्थानों को भेजे गए हैं। आयोग का तर्क है कि प्रत्येक शिक्षण संस्थान में औसतन 50 प्रतिशत से भी अधिक छात्राएं अध्ययन कर रही हैं। स्वास्थ्य संबंधी कारणों व स्वच्छ वातावरण रखने के उद्देश्य से सेनेटरी नैपकिन वेडिंग मशीन अब अनिवार्य करने की अधिसूचना जारी की गई है। शैक्षणिक संस्थानों में उचित दामों में इस तरह के नैपकिन उपलब्ध करवाने होंगे तथा इस्तेमाल किए गए नैपकिन के लिए डिस्पोजेबल मशीन भी स्थापित करनी पड़ेगी। विचारणीय पहलू यह है कि इसमें सुझाव भी दिया गया है कि एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड से ही ये मशीनें खरीदी जाएं। इस पूरे सेटअप का दाम सुनकर शैक्षणिक संस्थानों के कान खड़े हो गए हैं। इसमें प्रोडेक्ट की कीमत, किराया स्थापित करने के कुल खर्चों का योग 72775 रुपए बनता है तथा कंपनी को आर्डर के साथ-साथ सौ प्रतिशत एडवांस राशि भी जमा करवानी पड़ेगी। महिला आयोग के सचिव संदीप नेगी द्वारा निजी शिक्षा नियामक आयोग को पत्र लिखकर इस पर कार्रवाई करने को कहा गया है।