सोशल मीडिया या अखाड़ा

रूप सिंह नेगी, सोलन

पहले हमारे देश में फेसबुक व व्हाट्सऐप सही मायनों में सोशल मीडिया कहलाए जाते थे। अब इसे सोशल मीडिया कहने में शर्म महसूस होना स्वाभाविक सा लगता है, क्योंकि अब यह राजनीति से जुड़े व्यक्तियों के लिए गंदी टिप्पणियों, अश्लील व अभद्र भाषा, गाली-गलौच का अखाड़ा बनकर रह गया है।  पब्लिक से लेकर राजनेता, सब अपनी संस्कृति को शर्मसार करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। राजनेताओं को तो एक-दूसरे के खिलाफ गलत टिप्पणियां करके पता नहीं क्या हासिल हो रहा है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता  है कि इस मीडिया का गलत उपयोग किया जा रहा है और इस पर नकेल कसने की जरूरत है, ताकि ऐसे भ्रामक पोस्ट, झूठे आंकड़े, झूठे तथ्य पर आधारित पोस्ट और नेताओं के अभद्र व्यवहार से मुक्ति मिल सके। सरकार  को बिना पक्षपात के भ्रामक पोस्ट करने वालों और गंदी टिप्पणियां, अभद्र भाषा इस्तेमाल करने वाले नेता या सामान्य लोगों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।