स्वच्छता से ही स्वस्थ होंगे

राजेश कुमार चौहान

स्वस्थ नागरिक ही देश के विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। अगर देश में बीमारियों का घेरा बढ़ता जाएगा, तो सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी अपना बजट बढ़ाना पड़ेगा, जिससे देश की आर्थिक व्यवस्था पर बोझ बढ़ेगा। आज भारत में गंदगी और गंदे पानी से डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि बीमारियों का मकड़जाल कम नहीं है। इन बीमारियों से बहुत से लोग जान से हाथ धो बैठे हैं। देश में बीमारियों पर नकेल कसने के लिए सरकार भी प्रयत्नशील रहती है। अगर सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं पर ही अपना बजट बढ़ाती रहेंगी, तो इससे देश के दूसरे विकास के काम भी प्रभावित होंगे। देश को स्वस्थ रखने के लिए साफ-सफाई रखना बहुत ही जरूरी है। पर्यावरण में कूड़े-कर्कट की गंदगी की वजह से कई बीमारियां पनपती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना है कि भारत में प्रति व्यक्ति औसतन 6500 रुपए बीमारियों पर ही बर्बाद होते हैं। इस संगठन के अनुसार मोदी का स्वच्छ भारत अभियान देश के आमजन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और गरीब लोगों के खून-पसीने की कमाई इलाज में बर्बाद होने से बच सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेशक स्वच्छ भारत के लिए गंभीर हैं, लेकिन राज्य सरकारें और प्रशासन इसके लिए कुंभकर्णी नींद में सोए हैं। यह शायद तभी जागते हैं, जब लोग गंदगी से फैलने वाली बीमारियों के शिकार होते हैं। उस समय भी यह झूठे वादों और कुछ मुआवजे का मरहम लगाकर, फिर से लंबी तान कर सो जाते हैं। स्मार्ट सिटी की सूची में जो शहर आए हैं, अगर उनकी पारदर्शिता से निष्पक्ष जांच की जाए, तो उनमें कुछ शहर ऐसे भी सामने आएंगे जिनमें सफाई व्यवस्था का बुरा हाल होगा। अगर स्वच्छ भारत अभियान के प्रति सभी नागरिक, चाहे वे नेता, अभिनेता, सत्ताधारी या फिर आमजन हों, गंभीरता दिखाएंगे, तभी स्वच्छ भारत अभियान सफल होगा और स्वच्छता से देश को बीमारियों से छुटकारा मिलेगा।