अद्भुत व्यक्तित्व थे अटल जी

हरि मित्र भागी सकोह, धर्मशाला

अटल बिहारी वायपेयी के नाशवान देह त्यागने से उनके विचार, दर्शन, वाकपुटता, तर्कशक्ति, हास्य, व्यंग्य, साहित्य, दूरदर्शिता भारतीयों के दिलों में समाई हुई है। जनसभा संसद में उनकी उपस्थिति उदासी के क्षणों को हरे-भरे वातावरण में परिवर्तित कर देती थी। बंगलादेश के युद्ध के समय उन्होंने इंदिरा गांधी का भवानी-चंडी के रूप में संबोधन किया। अपने उम्दा व्यक्तित्व के कारण उन्हें सरकार ने विदेश मंत्री के रूप में विदेशों में भेजा। पाकिस्तान में चिनारे पाकिस्तान जाना व अपने व्यक्तित्व के कारण अपनी छाप छोड़ना व संबंधों को सुधारने में प्रयत्न करना उनके अद्भुत व्यक्तित्व की कला को दर्शाता है। चीन द्वारा वियतनाम में आक्रमण करने के कारण चीन दौरे को रद्द करके स्वदेश वापस लौटना उनके आत्मसम्मान को बोध करवाता है। उन्होंने पाकिस्तान से संबंध सुधारने को भी हमेशा अहमियत दी। चाहे भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता का मुद्दा हो या प्रशासनिक व्यवस्था का, उस पर हमेशा उनकी स्पष्ट राय होती थी। हिमाचल प्रदेश में उनका निवास होने के कारण वे हिमाचली भी थे। रोहतांग टनल का उनका सपना पूरा होने जा रहा है। ऐसे व्यक्तित्व अपने विचारों से अमर रहते हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।