अब दाखिले में टीकाकरण प्रमाणपत्र जरूरी

बच्चे की एडमिशन के वक्त देखी जाएगी रिपोर्ट, हैल्थ वर्कर या सुपरवाइजर जारी करेगा सर्टिफिकेट

 हमीरपुर— अगले शैक्षणिक सत्र में यदि आप अपने लाड़ले को स्कूल में एडमिशन करवाने की सोच रहे हैं, तो यह सुनिश्चित कर लें कि पैदा होने से लेकर अब तक उसे गंभीर बीमारियों से लड़ने वाले जरूरी टीके लगाए गए हैं या नहीं। यदि हां तो पास के हैल्थ वर्कर से मिलकर एक सर्टिफिकेट बनवा लें, क्योंकि एडमिशन के वक्त अन्य प्रमाणपत्रों के साथ टीकाकरण प्रमाणपत्र देना भी अनिवार्य किया गया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है, ताकि आपका बच्चा हमेशा स्वस्थ रहे और जिस आरोग्य भारत का सपना देश देख रहा है, वह पूरा हो सके। आरोग्य भारत का सपना देखने वाली सरकार ने स्कूल टाइम से ही बच्चों के स्वास्थ्य पर नजर रखने की योजना बनाई है। इसके तहत अब बच्चे के स्कूल में प्रवेश करते ही इस बात का पता चल सकेगा कि जन्म से लेकर छह साल तक की उम्र तक उसे वे सब जरूरी टीके लगाए गए हैं या नहीं, जो आने वाले वक्त में उसे रोगों से लड़ने में सहायक होंगे। यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इसे जरूरी किया गया है। यह टीकाकरण प्रमाणपत्र हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अलावा सीबीएसई और आईसीएसई के सभी सरकारी और निजी स्कूलों पर मान्य होंगे। अगर किसी बच्चे को प्रोपर टीकाकरण नहीं हुआ है, तो इसके लिए उसके अभिभावक उस इलाके के बीएमओ, एएनएम और आशा वर्कर जवाबदेह होंगे। हालांकि ऐसा नहीं है कि इस प्रमाणपत्र के अभाव में बच्चे को एडमिशन नहीं मिलेगा, लेकिन इस बात से यह अंदाजा लगा लिया जाएगा कि वहां का हैल्थ सिस्टम और पेरेंट्स बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर कितने गंभीर हैं। नेशनल इम्युनिजेशन शेड्यूल के अनुसार बच्चे के पैदा होने से लेकर छह साल की आयु तक स्वास्थ्य  विभाग की ओर से 16 टीके लगवाने अनिवार्य किए गए हैं। इनके अलावा तीन टीके उस वक्त लगते हैं, जब बच्चा मां के गर्भ में होता है।

केजी के बच्चों के लिए मान्य नहीं

टीकाकरण प्रमाणपत्र नर्सरी और केजी के बच्चों के लिए मान्य नहीं होंगे। ये केवल पहली कक्षा में दाखिला लेने वाले पांच से छह साल के बच्चों के लिए ही मान्य किए गए हैं। यह प्रमाणपत्र सभी सरकारी और निजी स्कूलों में अनिवार्य किया गया है।