एनएसजी पर चीन को कड़ा संदेश

अमरीका ने भारत को दिया एसटीए-1 का दर्जा, दक्षिण एशिया का बना इकलौता राष्ट्र

वाशिंगटन— हफ्ते भर के अंदर अमरीका ने चीन को दूसरा झटका देते हुए साबित कर दिया है कि भारत उसका अहम सहयोगी है। अमरीका ने भारत को एक खास दर्जा देकर न सिर्फ दुनिया में हमारे देश की धाक बढ़ाई है, बल्कि चीन को एक कड़ा संदेश भी दिया है। एनएसजी में भारत के शामिल करने का विरोध करने वाले चीन के लिए यह एक तरह से बड़ा झटका है, क्योंकि अमरीका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत को रणनीतिक व्यापार अधिकरण -1 (एसटीए-1) का दर्जा दिया है और यह दर्जा पाने वाला भारत दक्षिण एशियाई देशों में इकलौता राष्ट्र बन गया है। अमरीका द्वारा उच्च प्रौद्योगिकी के उत्पादों की बिक्री के लिए निर्यात नियंत्रण में ढील की घोषणा से दोनों देशों के बीच रक्षा और कुछ अन्य क्षेत्रों में संबंध और मजबूत हो सकेंगे। खास बात है कि यह दर्जा पाने वाला भारत एकमात्र दक्षिण एशियाई देश है। इसके अलावा अमरीका के नाटो सहयोगियों दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया तथा जापान को यह दर्जा मिला हुआ है। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत को अपने देश की तथाकथित एसटीए-1 की सूची में स्थान दिया है और इससे यहां से भारत को उच्च प्रौद्योगिकी वाले उत्पादों का निर्यात करना सुगम सुगम होगा। अमरीका में भारत के राजदूत नवतेज सिंह सरना ने इस निर्णय को आर्थिक और सुरक्षा के क्षेत्रों में भागीदार के रूप में भारत के प्रति अमरीका के बढ़ते भरोसे का उदाहरण बताया है। उन्होंने कहा है कि इससे द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। अमरीका ने 2016 में भारत को प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में मान्यता दी थी। इसके बाद अब इस साल अमरीका द्वारा भारत को एसटीए-1 का दर्जा दिया गया है। अमरीका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस द्वारा भारत को एसटीए-1 का दर्जा देने की घोषणा के बाद सरना ने यहां एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में यह बात कही। इस तरह से भारत एसटीए-1 दर्जा पाने वालों की लिस्ट में 37वां देश बन गया है। यह दर्जा अमूमन अमरीका द्वारा नाटो सदस्यों को दिया जाता है। गौरतलब है कि भारत के लिए यह दर्जा इसलिए भी खास है क्योंकि भारत अभी तक न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानी एनएसजी की सदस्यता नहीं मिली है, जिसका चीन हमेशा विरोध करता रहा है।