छह महीने के अंदर हटाएं अतिक्रमण

नैनीताल—  उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में राज्य सरकार को छह माह के अंदर सभी राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य मार्गों को अतिक्रमणमुक्त करने का आदेश दिया। साथ ही यह भी कहा कि सरकार राज्य भर में यातायात के सुचारू आवागमन के लिए ऐहतियाती कदम उठाए।  न्यायालय ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को भी ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया, जिनकी लापरवाही से राष्ट्रीय राजमार्ग 58 के निर्माण में विलंब हुआ है। साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को भी  एनएच 58 के विलंब के लिए जिम्मेदार कंपनी हरिद्वार हाई वे प्रोजेक्ट लि. के खिलाफ एक माह के अंदर कार्रवाही अमल में लाने का भी आदेश दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगल पीठ ने एनएच-58 के रखरखाव और निर्माण को लेकर दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई के बाद ये आदेश जारी किए हैं। न्यायालय ने कहा कि सरकार राज्य में यातयात के लिए सुगम आवागमन के लिए जिलाधिकारियों द्वारा की गई सिफारिशों तथा प्रस्तावों को जल्द अमल में लाए। साथ ही सभी राष्ट्रीय राजमार्गों तथा राज्य मार्गों पर पर्याप्त संख्या में स्ट्रीट लाइट लगाएं। न्यायालय ने सरकार से राज्य के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य मार्गों को अतिक्रमणमुक्त करने का आदेश देते हुए कहा कि यात्रियों की सुविधा को देखते हुए सरकार प्राधिकरण तथा पीडब्ल्यूडी के अलावा सभी संबद्ध पक्षों के साथ बैठक करे और यह सुनिश्चित करे कि राज्य में जाम की स्थिति से निजात मिल सके। न्यायालय ने प्राधिकरण को रूड़की और हरिद्वार के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 58 का निर्माण तय समयावधि में कराने तथा मैसर्स हिमालयी निर्माण कंपनी को तीन माह के अंदर तय समय में एनएच का रखरखाव का काम पूरा करने का भी आदेश दिया। न्यायालय ने केंद्र सरकार से एनएच-58 के निर्माण में हुए विलंब के लिए प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ जिम्मेदारी तय करने और अनुशानात्मक कार्रवाई अमल में लाने को भी कहा। न्यायालय ने समझौता तोड़ने वाली हरिद्वार की हरिद्वार हाई वे प्रोजेक्ट लि. कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश देते हुए इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि दस साल में एनएच-58 का निर्माण का काम पूरा नहीं हुआ है। इससे व्यापक जनहित प्रभावित होता है। दरअसल याचिकाकर्ता अख्तर मलिक की ओर से कहा गया था कि एनएच-58 का कार्य तय समय से भी अधिक समय में पूरा नहीं हुआ है। तय समझौते के अनुसार निर्माण कार्य पांच साल पहले पूरा हो जाना चाहिए था। इससे जहां लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं  इससे निर्माण लागत भी बढ़ रही है।