जिया में बिताए थे तीन दिन लिखी कई कविताएं

धर्मशाला— देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की यादें कांगड़ा के धर्मशाला निवासियों के साथ भी जुड़ी हुई हैं। 90 के दशक में वाजपेयी तीन दिन तक निजी प्रवास के दौरान जिया विश्राम गृह में ठहरे थे। जहां उन्होंने भारतीय राजनीति पर गहन चिंतन-मंथन के साथ-साथ कई कविताएं और लेख भी लिखे। मीठा खाने के शौकीन पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी के लिए उन दिनों कोतवाली बाज़ार निवासी सुभाष चड्डा मां ज्वालाजी के पास बनने वाले फेमस पेड़े मंगवाते थे। निजी प्रवास पर पहुंचे वाजपेयी की आवभगत में तीन दिन बिताने वाले चड्ढा को वह समय तीन दशकों के समान लगता है। इस दौरान जो स्नेह उन्हें मिला उसे याद कर वह भाव-विभोर हो जाते हैं। धर्मशाला निवासी और साठ के दशक में जनसंघ पार्टी के कार्यकर्ता सुभाष चड्ढा आज अटल बिहारी वाजपेयी की यादों को लेकर फफक फफक कर भावुक हो रहे हैं। जब अटल जी का हिमाचल प्रवास तय हुआ था, तो तत्कालीन मुख्यमंत्री शांता कुमार की ओर से कांगड़ा की नगरी के जिया स्थित विश्राम गृह को उनके ठहरने के लिए विशेष रूप से चुना गया। जिया में वह तीन दिन रहे। वाजपेयी के तीन दिन तक रहने-खाने पीने की जिम्मेदारी संगठन की ओर से उन्हें सौंपी गई तथा सरकार की ओर से पूर्व मंत्री चौधरी विद्यासागर उनके साथ मौजूद रहे। चड्ढा के मुताबिक वह तीन दिन मुझे तीन दशकों से भी ज्यादा लगते हैं। चड्ढा ने उन तमाम जानकारियों को ‘दिव्य हिमाचल’ से साझा किया, जो सन 1990 में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यक्रम के दौरान घटित हुई। वाजपेयी मीठे के शौकीन थे और उनके लिए ज्वालाजी के पेड़े विशेष रूप से मंगवाए गए। इस दौरान उन्होंने इस शांत एवं एकांत स्थान पर रात्री भोजन के बाद कई कविताएं व लेख भी लिखे।

पहाड़ की सादगी थी पसंद

भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री व प्रदेश कोषाध्यक्ष रहे सुभाष चड्ढा का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी सच में ही हिमाचल से बहुत लगाव रखते थे। हिमाचली व्यंजनों व पहाड़ की सादगी के वह बहुत कायल थे। वाजपेयी ने शाहपुर और धर्मशाला में भी जनसभाओं को संबोधित किया था। वह प्रदेश के दर्जनों कार्यकर्ताओं को नज़दीक से जानते थे और उनसे संवाद भी करते थे।