देश की मंडियों में हिमाचली सेब का राज

मार्केट में हर रोज पहुंच रही एक हजार टन से ज्यादा खेप

भुंतर— प्रदेश को सालाना चार हजार करोड़ की आमदनी देने वाले हिमाचली सेब से देश भर की मंडियां लवरेज होने लगी हैं। कश्मीरी सेब के मार्केट में आने से पहले प्रदेश की फसल ने देश भर की मंडियों पर कब्जा कर लिया है और हर रोज एक हजार टन से अधिक खेफ मार्केट में पिछले एक सप्ताह से पहुंच रही है। प्रदेश के सेब की बादशाहत के आगे बराबरी की टक्कर देने वाला पड़ोसी राज्य उत्तराखंड का सेब भी पिछड़ने लगा है। मार्केट बोर्ड के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जुलाई और अगस्त माह के पहले सप्ताह में प्रदेश की मंडियों से कुल 27400 टन से अधिक सेब की फसल प्रदेश की मंडियों के जरिए देश की मंडियों तक पहुंची है। जानकारी के अनुसार पिछले एक सप्ताह से प्रदेश भर की मंडियों में हर रोज एक हजार टन से भी अधिक की फसल पहुंच रही है, जो आने वाले दिनों में कई गुना बढ़नी तय है। इसके अलावा पड़ोसी राज्य उत्तराखंड की बात करें, तो यहां पर प्रदेश के मुकाबले बहुत कम फसल मार्केट में पहुंची है। सबसे बड़े सेब उत्पादक राज्य जम्मू-कश्मीर में भी सेब की अर्ली वैरायटी बाजार तक पहुंचने लगी है। हाल ही के सालों में अर्ली वैरायटी पर ज्यादा ध्यान बागबान दे रहे हैं, जिससे जुलाई में हर साल उत्पादन ज्यादा हो रहा है। कारोबारियों के अनुसार देश भर की मंडियों में हिमाचली सेब ही नजर आ रहा है। प्रदेश के बागबानों की सबसे पहली पसंद दिल्ली की आजादपुर मंडी ही बनी हुई है। इसके अलावा उत्तरी भारत के अन्य राज्यों में भी राज्य का सेब पहुंच रहा है। इसी बीच सेब के दामों की कम फसल से परेशान बागबानों को बेहतर दामों ने जरूर राहत प्रदान की है। बागबानों को 150 रुपए प्रति किलो तक के दाम मालामाल कर रहे हैं। एपीएमसी कुल्लू के सचिव सुशील गुलेरिया ने कहा कि कुल्लू सहित अन्य जिलों से सेब की फसल मार्केट में पहुंच रही है और इसमें अर्ली वैरायटी सबसे ज्यादा है।

अर्ली वैरायटी लगा रहे बागबान

प्रदेश में इस बार अगस्त माह के पहले सप्ताह तक 27400 टन सेब की फसल पहुंची है, जो पिछले साल की इस अवधि से करीब दो हजार टन अधिक है। जानकारों के अनुसार प्रदेश में हालांकि इस बार सेब की फसल कम है, लेकिन अर्ली किस्में ज्यादा लगने के चलते जुलाई में सेब उत्पादन ज्यादा हुआ है।