बिना वर्कर्ज नशामुक्ति केंद्र

शिमला— प्रदेश के 12 जिलों के जोनल अस्पतालों में शुरू किए गए नशामुक्ति केंद्रों की तरफ ध्यान देना सरकार भूल ही गई है। प्रदेश में यह स्थिति बन गई है कि राज्य के सात जिलों (ऊना, कांगड़ा, बिलासपुर, लाहुल-स्पीति सोलन, मंडी और हमीरपुर) के  नशा मुक्ति केंद्रों में मेडिकल सोशल वर्कर्ज के पद खाली हो चुके हैं।  वहीं तीन जिलों के इन नशा मुक्ति केंद्रों में काफी लंबे समय से क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट के पद भी खाली पड़े हैं। बताया जा रहा है कि ऊना में मेडिकल सोशल वर्कर और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट दोनों के पद काफी समय से रिक्त हैं। प्रदेश विवि के समाज कार्य  विभाग के पूर्व छात्र मूल राज का कहना है कि नशामुक्त केंद्रों में मेडिकल सोशल वर्कर्ज और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट के रिक्त पद भरने को सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। वर्तमान में कुल्लू, किन्नौर, चंबा, नाहन और शिमला के नशामुक्त केंद्रों में ही मेडिकल सोशल वर्कर्ज सेवा दे रहे हैं और सरकार उनसे अन्य कार्यक्रमों जैसे राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम, मानसिक स्वास्थ्य प्रोग्राम, प्रजनन मातृ, शिशु, बाल और किशोर स्वास्थ्य प्रोग्राम, फील्ड वर्क कार्यक्रम का कार्य भी करवा रही है। प्रदेश विवि शिमला और केंद्रीय विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ सोशल वर्क के 200 से भी अधिक छात्र उत्तीर्ण हो चुके हैं और प्रदेश सरकार इन सोशल वर्कर्ज  को रोजगार नहीं दे पाई है।