संस्थाओं में भी सुरक्षा नहीं

पूजा चोपड़ा, मटौर

नेता लोग भाषण देते हैं कि मानसिकता बदलें, कानून नहीं, परंतु किस-किस की मानसिकता बदलेंगे? कितने लोगों की मानसिकता बदलें? रेप की सजा मौत हो जाने के बाद भी लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। यहां तक कि लोग आश्रम, संस्था आदि के नाम पर धंधा चलाने का काम करते हैं और शिकार होती हैं मासूम बच्चियां। दुख की बात तो यह होती है कि इस सब के पीछे ज्यादातर औरतों का ही हाथ होता है। मुझे लगता है ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ का नारा तो कहीं पर लगना ही नहीं चाहिए, क्योंकि इस नारे का जितना अपमान होना था, वह हो चुका है और हो भी रहा है। वह समय जल्द आने वाला है कि लोगों को बेटियां देखने को नहीं मिलेंगी।