सालों से आवेदन, पर नहीं मिला परशुराम पुरस्कार

धर्मशाला— अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की खेलों में हिमाचल का नाम रोशन करने वाले खिलाडि़यों की प्रदेश में बेकद्री की जा रही है। जी हां, इंटरनेशनल व नेशनल स्तर पर मेडल जीतने वाले प्लेयर्ज को अब तक अवार्ड ही नहीं मिल पाए। हैरत की बात यह है कि हिमाचल में पिछले छह सालों से खिलाडि़यों को सर्वोच्च राज्य सम्मान परशुराम अवार्ड ही नहीं दिए गए। ऐसे में हिमाचली खिलाडि़यों के हौसले को ठेस पहुंच रही है, वहीं पड़ोसी राज्य हरियाणा, पंजाब आदि में हर साल स्टेट अवार्ड मिल रहे हैं। हिमाचली खिलाडि़यों और खेल विशेषज्ञों ने बुधवार यानी खेल दिवस पर धर्मशाला में आक्रोश भी जताया। खेल विशेषज्ञ खिलाडि़यों को राज्य अवार्ड देन की मांग उठा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश को देश में भले ही छोटे राज्यों के रूप में गिना जाता है, लेकिन देवभूमि कहे जाने वाले राज्यों ने देश के लिए बलिदान देने की बात आती है तो सर्वोच्च स्थान पर नजर आता है। वहीं, हिमाचल के प्रतिभावान खिलाडि़यों ने विभिन्न खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। सुविधाएं न मिलने के बावजूद खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार मेडल ला रहे हैं। पिछले छह सालों से दो दर्जन से अधिक खिलाड़ी राज्य अवार्ड की सभी औपचारिक्ताएं पूरी करते हैं, मगर खिलाड़ी हर साल बस अवार्ड मिलने का इंतजार ही करते रहते हैं।

इन खिलाडि़यों को नहीं मिला अवार्ड 

ओलंपिक रजत पदक विजेता विजय कुमार, एशियन एवं वर्ल्ड कप कबड्डी गोल्ड मेडलिस्ट अजय ठाकुर, इंटरनेशनल कुश्ती में कांस्य पदक विजेता जगदीश रॉव, एशियन गेम्स कबड्डी गोल्ड और सिल्वर मेडलिस्ट कविता ठाकुर, वर्ल्ड कप क्रिकेट उपविजेता सुषमा वर्मा, कबड्डी के इंटनरेशनल मेडलिस्ट निर्मला चंदेल, रवि शर्मा, विशाल भारद्वाज, रीतू नेगी, निधि चंदेल, वॉलीबाल में मनीषा सहित दो दर्जन के करीब खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश को मेडल दिला चुके हैं। खिलाडि़यों को अब तक राज्य अवार्ड नहीं मिल पाया है।