असमंजस में कर्मी, महासंघ पर रार

तय नहीं हो पा रहा कौन संभालेगा कुर्सी, मुख्यमंत्री का आशीर्वाद लेने को होड़

शिमला – प्रदेश का कर्मचारी वर्ग महासंघ को लेकर असमंजस की स्थिति में है। भाजपा सरकार को बने हुए लगभग आठ महीने का समय हो चला है, परंतु अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि प्रदेश में कर्मचारी महासंघ की कमान कौन संभालेगा। हालांकि इसमें सरकार का सीधे रूप से कोई हस्तक्षेप नहीं होता, मगर फिर भी सरकार का आशीर्वाद जरूरी है, जिसे लेने के लिए इन दिनों खासी होड़ लगी हुई है। कभी कोई कर्मचारी नेता मुख्यमंत्री के पास पहुंच रहा है, तो कभी कोई। ये भी बता दें कि अभी तक सुरेंद्र ठाकुर की एडजस्टमेंट नहीं हो पाई है, जिन्हें सरकार कामगार कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष लगा रही थी। इस मामले में भी कुछ पेंच पड़ा हुआ है, जिस कारण सुरेंद्र ठाकुर वहां पर ज्वाइनिंग नहीं दे सके हैं। ऐसे में अभी वह भी महासंघ की रेस में बरकरार समझे जा रहे हैं। आने वाले दिनों में स्थिति कुछ भी हो सकती है, जिसके लिए काफी जोड़-तोड़ चल रही है। विभागीय संगठनों के नेता भी अभी तक यह समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर उन्हें किसके साथ चलना है, क्योंकि पूरी तरह से असमंजस की स्थिति है। पिछले दिनों शिक्षा विभाग से डा. अश्वनी ठाकुर ने भी महासंघ की गद्दी पर अपना दावा ठोंका है। वहीं विनोद कुमार भी इस कुर्सी के लिए खुद को हकदार मान रहे हैं, मगर समझ यह नहीं आ रहा कि सरकार किसे महासंघ की मान्यता देगी, क्योंकि मसला सरकार का भी है, जिसे महासंघ को मान्यता देनी है। भाजपा या संघ से जुड़े किसी कर्मचारी नेता को इसकी कमान सौंपने की सोची जा रही है। ऐसे नेता रेस में भी लगे हुए हैं, मगर इनके बीच में से कौन सामने आएगा, इसका खुलासा भी जल्द हो जाएगा, क्योंकि बताया जा रहा है कि सचिवालय स्तर पर जिस तरह से नेता लगातार सीएम से संपर्क में हैं, उससे लगता है कि मसला जल्द हल हो जाएगा। वहीं वर्तमान में तो कर्मचारी भी पसोपेश में हैं, जिनको अपनी मांगें उठाने के लिए महासंघ के नेताओं की जरूरत है। इनके जरिए कर्मचारियों के कई तरह के मामले हल होते हैं, जो कि अभी नहीं हो रहे। साथ ही अलग-अलग संगठन अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिल रहे हैं, जिससे भी सचिवालय में भीड़ भरा माहौल रहता है।