ईको टूरिज्म को 112 साइट सिलेक्ट

शिमला—वन मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर ने सदन में बताया कि  हिमाचल प्रदेश में ईको टूरिज्म की विभिन्न गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 122 वन पर्यटन स्थलों का चयन किया गया है। इनमें से 16 स्थलों को ईको टूरिज्म की दृष्टि से विकसित कर विभागीय स्तर पर चलाया जा रहा हैं। श्री नयनादेवी के विधायक रामलाल ठाकुर के लिखित सवाल पर वन मंत्री ने यह जानकारी दी।

सीएम ने जारी किया खेल कैलेंडर

शिमला —मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को वर्ष 2018-19 के लिए खेल कैलेंडर जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में खेल गतिविधियों के आयोजन के लिए 45.43 करोड़ रुपए का बजट आबंटित किया है, ताकि युवा ऊर्जा को रचनात्मक गतिविधियों में प्रयोग किया जा सके। उन्होंने इस अवसर पर विभाग की उपलब्धियों पर आधारित एक पुस्तिका का भी विमोचन किया।

आठ महीने में 9552 करोड़ के प्रोजेक्ट

शिमला — जयराम सरकार के 8 महीने के कार्यकाल में प्रदेश को आईपीएच के 9552.43 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट केंद्र सरकार ने मंजूर किए हैं। सदन में आईपीएच मंत्री ने ग्रामीण पेयजल स्कीमों को लेकर एक वक्तव्य भी पेश किया। उन्होंने कहा कि इतिहास में ऐसा पहली दफा हुआ है कि कोई सरकार 8 महीने के कार्यकाल में केंद्र से 9 हजार 552 करोड़ 43 लाख रूपए के प्रोजेक्टों को मंजूर करके लाई है।  उन्होंने बताया कि प्रदेश में 9516 ग्रामीण  पेयजल योजनाएं चल रही हैं, जिनसे 53604 बस्तियों को स्वच्छ पानी दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पुरानी योजनाओं को अपग्रेड करने के लिए ये प्रोजेक्ट मिला है। 798.19 करोड़ की एक योजना बाह्य वित्त पोषण के लिए मंजूर हुई है।

प्रभावित क्षेत्रों में लगाए जा रहे हैंडपंप

शिमला — मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में जानकारी दी कि कीरतपुर-नेरचौक-मनाली फोरलेन मार्ग के किए जा रहे निर्माण कार्य के कारण पर्यटकों व अन्य यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।  द्रंग के विधायक जवाहर ठाकुर के कीरतपुर-नेरचौक-मनाली फोरलेन को लेकर पूछे गए लिखित सवाल पर मुख्यमंत्री ने बताया कि मंडी कटौला कांडी बजौरा सड़क की लम्बाई 51 किलोमीटर है। इसको एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में सीआरएफ के तहत विकसित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि  पंडोह से औट तक 6 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। इसमें तीन पंचायतों के नौ गांव प्रभावित हो रहे हैं।  42 गांवों के पेयजल स्त्रोत प्रभावित हुए हैं, इस बारे में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को अवगत करवा दिया है और समय रहते इसके लिए योजना बनाने का आग्रह भी किया है। विभाग द्वारा इन आशंकित-प्रभावित गांवों के लिए अभी कोई वैकल्पित योजना की रूपरेखा नहीं बनाई गई है और न ही इसके लिए धन उपलब्ध करवाया गया है। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रभावित योजनाओं के तहत क्षेत्रों में हैंडपंप लगाए गए हैं और इन  हैंडपंपों का विद्युतीकरण करके पेयजल आपूर्ति की जा रही है।