टीकाकरण प्रमाणपत्र पर ही दाखिला

प्रदेश सरकार ने प्राइमरी स्कूलों के लिए जारी की अधिसूचना, बिना सर्टिफिकेट नहीं मिलेगी एडमिशन

शिमला – बेहतर शिक्षा के साथ स्कूली छात्रों का स्वास्थ्य भी बेहतर हो, इसको लेकर सरकार ने छोटे बच्चों के लिए टीकाकरण का प्रमाण पत्र अनिवार्य किया है। अब प्राइमरी स्कूल में अगर किसी बच्चे का दाखिला करवाना है, तो उन्हें साथ में पांच साल तक लगे टीकाकरण का प्रमाण पत्र भी बताना होगा। ऐसा न करने वाले छात्रों को प्राइमरी स्कूलों में दाखिला नहीं मिल पाएगा। राज्य सरकार की ओर से शिक्षा सचिव ने यह फैसला लिया है। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय सहित सभी जिला उपनिदेशकों और स्कूल प्रबंधन को इस बारे में निर्देश दिए हैं। कहा जा रहा है कि स्कूलों में प्रवेश लेती बार बच्चों के टीकाकरण की निर्धारित उम्र के साथ टीका लगाया भी गया या नहीं, यह देखा जाएगा। राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई इस शुरुआत का मकसद राज्य में शत-प्रतिशत बच्चों में टीकाकरण करना है। सरकारी स्कूलों से सरकार ने इसकी शुरुआत कर दी है। हिमाचल में अभिभावकों ने नौनिहालों को टीके लगाए भी हैं या नहीं यह जानने के लिए स्कूल से इस ड्राइव को शुरू किया गया है। शिक्षा सचिव ने कहा है कि स्कूल प्रबंधन को इसकी जिम्मेदारी खुद लेनी होगी। अगर कोई स्कूल इन आदेशों की अनुपालना करता नहीं पाया गया तो, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। अहम बात तो यह है कि जिला उपनिदेशकों को ही नहीं, बल्कि डाइट संस्थानों को भी  प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के टीकाकरण से जुड़ी हर अहम जानकारी रखनी होगी। ऐसा न करने वाले डाइट संस्थानों पर राज्य सरकार कार्रवाई करेंगी। उल्लेखनीय है कि राज्य में पहली बार ऐसा होगा, जहां पर दाखिले के दौरान छात्रों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के साथ उनसे टीकाकरण की महत्त्वता के बारे में भी पूछा जाएगा। बता दें कि प्राइमरी कक्षाओं के दूसरे छात्रों से भी अब टीकाकरण से जुड़ा प्रमाण पत्र लिया जाएगा। खास बात है कि अब सरकारी स्कूलों में छात्रों को बेहतर शिक्षा के साथ स्वास्थ्य को लेकर यह एक बड़ा कदम है। हर माह स्कूलों से इसकी रिपोर्ट शिक्षा मंत्री और राज्य सरकार को भेजी जाएगी।

लंच बॉक्स भी करना होगा चैक

शिक्षा सचिव ने स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि स्कूलों में नौनिहाल बाहर की खाद्य वस्तुएं न खा पाएं, इसके लिए भी उन्हें जागरूक करें। सरकार से मिले निर्देशों के अनुसार शिक्षकों को छोटी कक्षाओं के बच्चों का लंच बॉक्स भी समय-समय पर चैक करना पड़ेगा। खास तौर पर उन बच्चों का जो स्कूलों में मिड-डे मील न खाकर, बल्कि घर का खाना खाते हैं। इन निर्देशों का पालन करना हर संबंधित शिक्षा अधिकारी का है।