ट्रैकिंग पर रोक से उत्तराखंड को होगा 533 करोड़ रुपये का नुकसान

नई दिल्ली -उत्तराखंड में ऊंचे पहाड़ों पर रात में रूकने और ट्रैकिंग गतिविधियों पर राेक लगाये जाने से न सिर्फ इससे जुड़े लोगों का राेजगार प्रभावित हुआ है बल्कि इससे चालू वित्त वर्ष में राज्य को 533 करोड़ रुपये का नुकसान होने का दावा किया गया है।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने इस संबंध में दिये गये निर्णय पर एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स एसोसिशन ऑफ इंडिया (एटीओएआई) ने अपनी प्रतिक्रिया में इससे राज्य को 533 करोड़ रुपये का नुकसान होने का दावा करते हुये यहां जारी बयान में कहा है कि इस निर्णय से न केवल उत्तराखंड के लोगों का सामाजिक-आर्थिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है बल्कि उत्तराखंड का पर्यटन भी प्रभावित हुआ है।  उसने कहा है कि उत्तराखंड में ट्रीलाइन ट्रैकिंग पर पूर्ण प्रतिबंध ट्रैकिंग पर्यटन पर निर्भर लाखों हितधारकों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। सिर्फ ट्रैक ऑपरेटर और कंपनियां प्रभावित नहीं हैं, बल्कि गाइड, कुक, हेल्पर्स, पोर्टर्स और खच्चर वाले, ढाबा मालिक, होटल मालिक और छोटे होम स्टे, सराय, टैक्सी मालिक और ड्राइवर, दुकानदार आदि भी प्रभावित हैं। इन लोगों की घर-घर शुरू की गई उद्यमिता की वजह से राज्य को उद्यमशीलता का सम्मान मिला है।
एटीओएआई के अध्यक्ष स्वदेश कुमार ने कहा कि इस मामले में अचानक इस तरह की प्रतिक्रिया उत्तराखंड में पूरे पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचा रही है। प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी निर्माण रोकने का उच्च न्यायालय का फैसला सराहनीय है। उन्होंने ट्रैकिंग गतिविधियों के लिए राज्य में आने वाले लोगों की संख्या को नियंत्रित करने की जरूरत बताते हुये कहा कि इसके लिए गतिविधियों को प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदायों के लिए इन ट्रैकर्स से होने वाली आय पर एक अध्ययन होना चाहिए, साथ ही राज्य की अर्थव्यवस्था इस तरह के प्रतिबंध से कितनी प्रभावित होगी, यह भी अध्ययन का विषय है। नियमों की अनदेखी करने वालों को दंडित करने का उनका संगठन समर्थन करता है। हालांकि, कुछ लोगों की वजह से हजारों लोगों की आजीविका को दांव पर नहीं लगाया जाना चाहिए।    संगठन ने कहा कि राज्य में हर वर्ष करीब दो लाख लोग ट्रैकिंग के लिए आते हैं और दो हजार कंपनियां इस कारोबार को संचालित कर रही है। एक कंपनी के पास कम से कम चार कर्मचारी हैं। प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर इस पर करीब दो लाख लोग निर्भर हैं।एटीओएआई के पूर्व प्रमुख अक्षय कुमार ने कहा कि सामूहिक पर्यटन को बढ़ावा देने वाली कुछ कंपनियों की वजह से उत्तराखंड में पूरी ट्रैकिंग गतिविधि पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जबकि उद्योग महसूस करता है कि विनियमन और नियंत्रण आवश्यक है। समय की आवश्यकता सभी साहसिक खेलों और जुर्माना न भरने वालों के लिए टिकाऊ नीतियां बनाना है। इन ट्रैकिंग मार्गों और बुग्यूल्स ने कई पीढ़ियों से स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी मजबूत की है। हिमालय और इसके पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां अधिकतम विनियमन के साथ संचालन बहाल करने की जरूरत है। उद्योग और राज्य सरकार को ट्रैकिंग गतिविधियों को तत्काल खोलने के लिए हाथ मिलाने की जरूरत है।
संगठन ने कहा कि उत्तराखंड में पर्वतारोहण की लंबी और गर्वित परंपरा रही है तथा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की ट्रेनिंग भी यहीं दी जाती है। स्वीकार्य रूप से प्रमुख संस्थान नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग से ऐसे पर्वतारोही निकले हैं जिन्हें न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त और सम्मानित किया गया है। इन सभी पर्वतारोहियों ने अपने खेल को न केवल अपने राज्य में सीखा है बल्कि राज्य को इस खेल में हुनरमंद बनाया है। बुगयाल में कैम्पिंग किए बिना कोई भी व्यक्ति राज्य में पहाड़ पर नहीं चढ़ सकता। लेकिन यह प्रतिबंध राज्य में पर्वतारोहण को एक खेल के रूप में भी प्रतिबंधित कर देगा।