प्रदेश के 1217 करोड़ निगल गई बरसात

बारिश-भूस्खलन से हुए नुकसान पर आयोजित समीक्षा बैठक में हुआ खुलासा

264 लोगों की मौत इस बार की बरसात में

शिमला —कहर बरपा कर लौटा मानसून हिमाचल प्रदेश को 1217 करोड़ की चपत लगा गई है। राज्य सरकार ने व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 230 करोड़ की वित्तीय सहायता जारी की है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बरसात में हुए नुकसान और राहत व बचाव कार्यों के प्रबंधों की मंगलवार को समीक्षा की। इस दौरान आपदा प्रबंधन विभाग के प्रस्तुत आंकड़ों से स्पष्ट हुआ कि इस बार मानसून हिमाचल को खून के आंसू रुला कर लौटा है। इस दौरान राज्य में बादल फटने के 33 तथा भू-स्खलन के 391 मामले सामने आए। इससे भारी संपत्ति को नुकसान हुआ है। इस समयावधि के दौरान प्रदेश के कुल 264 लोगों को मानसून ने निगल लिया। इनमें क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण सड़क दुर्घटनाओं से 199 मौतें शामिल हैं। समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निर्माण विभाग को वर्षा के कारण सड़कां, पुलों, डंगों और दीवारों को हुई क्षति से सर्वाधिक 735 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि यह पाया गया है कि भारी बारिश के साथ-साथ मलबे की अनियोजित डंपिंग भी सड़कों की क्षति का कारण रहा। उन्होंने कहा कि उचित डंपिंग स्थल चिन्हित किए जाने चाहिए और यह भी सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए कि मलबे का निपटान चिह्नित स्थलों पर ही किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रभावी क्रॉस नालियां तथा सड़कों के किनारे ड्रेनेज सुविधाएं सुनिश्चित बनाई जानी चाहिए। सीएम ने कहा कि आईपीएच विभाग को 328.78 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। अनेक मुख्य, मध्यम व लघु पेयजल आपूर्ति और सिंचाई योजनाएं भू-स्खलन व भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हुई हैं। कृषि व बागबानी क्षेत्र को 88.81 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, जबकि ऊर्जा क्षेत्र को 24.50 करोड़ का नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिला के नूरपुर में एक एनडीआरएफ की कंपनी तैनात की गई है। इसके अतिरिक्त प्रमुख नदियों के जल स्तर की दैनिक निगरानी भी सुनिश्चित बनाई जा रही है। किसी भी अप्रिय घटना से बचने तथा  शुरुआती चेतावनी के लिए पहली बार मंडी के कोटरूपी तथा ओट में भू-स्खलन सेंसर स्थापित किए गए।  अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व मनीषा नंदा ने कहा कि प्रदेश में हाल ही में पूर्व चेतावनी एवं अलर्ट प्रणाली के लिए एनडीएमए द्वारा विकसित पायलट टेस्टिंग ऑफ कॉमन अलर्ट प्लेटफार्म का प्रशिक्षण किया गया।

किसे, कितना नुकसान

पीडब्ल्यूडी            735 करोड़

आईपीएच           328.78 करोड़

कृषि-बागबानी        88.81 करोड़

ऊर्जा                   24.50 करोड़