बढ़ते कदम को रोक पाई उम्र

जब मन में दृढ़ विश्वास व जुनून हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती। इसके लिए उम्र भी बाधा नहीं बन सकती। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है रावमापा की इतिहास की प्रवक्ता के तौर पर कार्यरत कल्पना परमार ने। उन्होंने एथलेटिक्स में विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है और हाल ही में मलेशिया में आयोजित एशिया पेसेफिक मास्टर गेम्स में तीन पदक भारत की झोली में डाले हैं। सिरमौर जिला के मुख्यालय नाहन में 27 अगस्त, 1974 को पिता स्व. सुखदेव सिंह परमार व माता कुसुम परमार के घर कल्पना परमार का जन्म हुआ। उनके माता-पिता ने कल्पना सहित उनकी बहनों को खेल से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। कल्पना की बड़ी बहन सीमा परमार और छोटी बहन पूनम परमार भी इंटरनेशनल खिलाड़ी हैं। नाहन में शिक्षा के दौरान शारीरिक शिक्षक ने कल्पना परमार को छठी क्लास में ही हाकी स्टिक थमा दी थी। इसके बाद वह लगातार मेहनत करती रही है और हाकी में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। नाहन में स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद उनकी खेल प्रतिभा को देखते हुए कल्पना का चयन चंडीगढ़ के एमसीएम डीएवी गर्ल्ज कालेज में हुआ। यहां कुशल हाकी कोचों के नेतृत्व में कल्पना हॉकी में अपनी प्रतिभा निखारती रही और हाकी में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया। कल्पना ने जमा दो तक की शिक्षा गर्ल्ज सीसे स्कूल नाहन में की। वहीं, स्नातक की डिग्री एमसीएम डीएवी कालेज चंडीगढ़ से प्राप्त की और इतिहास विषय में एमए हिमाचल प्रदेश विवि से उत्तीर्ण की। इसके बाद भी उन्होंने पढ़ाई का क्रम जारी रखा और हिमाचल प्रदेश विवि से बीएड करने के बाद एमफिल और ई-कॉमर्स की शिक्षा भी प्राप्त की। कल्पना का विवाह 22 नवंबर, 2002 को सिरमौर जिला के पच्छाद क्षेत्र के शामपुर गांव निवासी व दैनिक हिंदी समाचार पत्र के पत्रकार यशपाल कपूर के साथ हुआ। कल्पना के परिवार में पति के अलावा 14 वर्षीय बेटी दीया कपूर और 10 वर्षीय बेटा रचित कपूर है। 44 वर्षीय कल्पना परिवार की देखभाल के बाद जो समय मिलता उसमें वह लंबी दूरी की दौड़ का अभ्यास करती हैं। लंबी दूरी की दौड़ में हिमाचल प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। कल्पना समय-समय पर सोलन के स्कूलों में भी बच्चों को खेलों से जुड़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम किया रोशन

सोलन की अंतरराष्ट्रीय धावक कल्पना परमार ने हाल ही में मलेशिया में आयोजित एशिया पेसेफिक मास्टर गेम्स में तीन पदक हासिल किए हैं। प्रतियोगिता में पहली बार भारत की टीम ने हिस्सा लिया था, जिसमें करीब 36 खिलाड़ी हिमाचल प्रदेश से थे। इनमें कल्पना परमार ने पदकों की हैट्रिक लगाकर देश व प्रदेश का मान बढ़ाया है। इससे पूर्व भी वह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर देश-विदेश में हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी हैं। एसएनडीटी महिला कालेज घाटकोपर मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय समता पुरस्कार समारोह-2016 में क्रीड़ा रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें सिरमौर कल्याण मंच सोलन, डॉयनमिक युवा मंडल सोलन समेत कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। कल्पना परमार इससे पहले हिमाचल प्रदेश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जापान में रोशन कर चुकी हैं। जापान के कीटाकामी स्टेडियम में वर्ष 19 से 23 सितंबर, 2014 तक आयोजित 18वीं एशियन मास्टर एथलेटिक्स प्रतियोगिता में कल्पना ने फ्रांस में होने वाली वर्ल्ड मास्टर एथलेटिक्स के लिए क्वालिफाई किया था। इसके अलावा कल्पना बंगलूरू में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्तर की 10 किलोमीटर दौड़ और दिल्ली में 21 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय हॉफ मैराथन सहित मुंबई की प्रतिष्ठि मैराथन में भी हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। अपनी आयु वर्ग में वह 21 किलोमीटर दौड़ने वाली प्रदेश की एकमात्र महिला धावक है। वर्ष 2016 में सिंगापुर में आयोजित एशिया मास्टर एथलेटिक्स प्रतियोगिता में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के चलते उनका चयन ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में आयोजित हुई वर्ल्ड मास्टर एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भी हुआ था। इस प्रतियोगिता में भी उनका प्रदर्शन सराहनीय रहा था।