भगवान के घर में देर है, परंतु अंधेर नहीं

कर्म सिंह ठाकुर

लेखक, मंडी से हैं

न्यायालय ने मृत्यु दंड देकर सभी प्रदेशवासियों को यह एहसास करवाया कि कुकृत्य करने वालों की अब खैर नहीं। मासूम युग नृशंस अपराध का शिकार हो गया। उसको कोई भी वापस नहीं ला सकता, लेकिन दरिंदों को फांसी की सजा मिलने से युग के माता-पिता, दादी तथा परिजनों को जरूर सुकून मिला होगा…

14 जून, 2014 को शिमला के राम बाजार के व्यापारी विनोद गुप्ता के 4 वर्षीय बेटे युग का अपहरण हो गया था। पुलिस के असफल होने पर मामला सीआईडी क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया। 20 अगस्त, 2016 सीआईडी ने आरोपी विक्रांत को गिरफ्तार किया था और उसने सब सच उगल दिया। 20 फरवरी, 2017 को जिला एवं सत्र न्यायालय में इस मामले की सुनवाई के लिए ट्रायल शुरू हुआ और 5 सितंबर, 2018 राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर इस जघन्य अपराध में लीन तीनों अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई गई। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में न्यायपालिका द्वारा दिया गया यह एक ऐतिहासिक निर्णय है। पिछले कुछ समय से कानून व्यवस्था न्याय दिलाने में कमजोर प्रतीत होने लगी थी, परंतु इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझा कर कानून व्यवस्था और न्यायपालिका ने अपनी निष्ठा का परिचय दिया है। पिछले कुछ समय से प्रदेश की शांत भूमि भ्रष्टाचारियों, नशाखोरों तथा अपराधियों की कर्मभूमि बनकर रह गई है। बच्चों का अपहरण, नशाखोरी, ईमानदार कर्मचारियों की हत्या जैसी तमाम घटनाओं ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को शर्मसार किया है। प्रदेश की गौरवमई शांत प्रवृत्ति तथा ईमानदार व कर्मठ लोगों की भूमि उत्तर प्रदेश तथा बिहार के समतुल्य बनती जा रही थी।

ऐसे में यह बहुत जरूरी हो गया था कि न्यायपालिका अपराधियों को कठोर से कठोर सजा देकर सुदृढ़ व ईमानदार न्याय को स्थापित करे। ऐसा ही कुछ युग हत्याकांड में देखने को मिला। एक मासूम बच्चे को पानी के टैंक में सीने पर पत्थर बांधकर डाल दिया जाता है और 2 वर्षों तक वहीं पर सड़ता रहता है। उसी पानी का सेवन लोग कर रहे थे। इस घटना ने मानवता को शर्मसार करके झकझोर दिया था। जिस मां का चिराग पानी के टैंक में तड़प-तड़पकर मरा होगा, उसके दर्द को समझ पाना कठिन होगा, लेकिन न्यायालय द्वारा आरोपियों को फांसी की सजा सुनाने के निर्णय ने युग को जरूर इनसाफ दिला दिया है। इस दुख की घड़ी में प्रदेश वासियों ने भी युग के माता-पिता का खूब साथ दिया था।

दोषियों को सजा दिलाने के लिए जनमानस खड़ा हो उठा था और न्यायालय द्वारा मृत्यु दंड देकर सभी प्रदेशवासियों को यह एहसास करवाया कि कुकृत्य करने वालों की अब खैर नहीं। मासूम युग नृशंस अपराध का शिकार हो गया। उसको कोई भी वापस नहीं ला सकता, लेकिन दरिंदों को फांसी की सजा मिलने से युग के माता-पिता, दादी तथा परिजनों को जरूर सुकून मिला होगा। इस कठोर निर्णय से अपराधियों के भी रोंगटे खड़े होंगे तथा आने वाले समय में इस तरह के जघन्य अपराध करने से पहले कई बार सोचेंगे। यही कारण है कि इस निर्णय का प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर तथा समस्त प्रदेश वासियों द्वारा दिल की गहराइयों से न्यायपालिका का स्वागत किया है। प्रदेश में बढ़ती बलात्कार की घटनाओं तथा नशाखोरी पर लगाम लगाने के लिए भी कानून व्यवस्था का सुदृढ़ होना जरूरी है।

यदि कानून स्वतंत्र ईमानदार तथा जनहितैषी होगा, तो अपराध अपने आप ही कम हो जाएंगे। कहीं न कहीं हमारी कानून व्यवस्था में कुछ कमजोरियां हैं, जिनके कारण हम अपराधियों को पकड़ने में सफल नहीं हो पाते हैं। आज का मानव सूचना प्रौद्योगिकी के युग में जी रहा है। हर हाथ में स्मार्टफोन की पहुंच से मानव जीवन सुगम बन गया है। लोग अपनी प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया के माध्यम से आसानी से व्यक्त कर देते हैं। ऐसे में ट्रांसपेरेंट कानून व्यवस्था का होना अति आवश्यक है। पिछले कुछ समय से प्रदेश में अपराधों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। गुडि़या हत्याकांड, होशियार सिंह हत्याकांड तथा अनेक बलात्कार व नशाखोरी के मामले सामने आए हैं। अभी इनके दोषियों को सजा मिलना बाकी है। यदि इन अपराधियों को भी कड़ी से कड़ी सजा मिल जाए, तो स्वतः ही अपराधों की प्रवृत्ति में कमी आएगी। प्रदेश को प्रकृति की तरफ से अपार संपदाएं उपहार समान मिली हैं। विश्व के मानचित्र पर हिमाचल प्रदेश एक ईमानदार तथा शांत राज्य का प्रतिनिधित्व करता है। हिमाचल विश्व भर में कर्मठ तथा देवों की भूमि की उपमा से मशहूर है। इस गौरवमई ऐतिहासिक परंपरा को कायम रखने के लिए प्रदेश से भ्रष्टाचार तथा अपराधियों को मिटाना होगा। इसमें प्रदेश की समस्त जनता को भी बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए। जितना संभव हो सके पुलिस व प्रशासन की सहायता करके दोषियों को सजा दिलाने में अपनी भूमिका सुनिश्चित करें।

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।

-संपादक