सबूतों के आधार पर गिरफ्तार हुए सामाजिक कार्यकर्ता

नई दिल्ली— महाराष्ट्र पुलिस ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किए पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को उनकी असहमति के नजरिए की वजह से गिरफ्तार नहीं किया गया है। पुलिस ने बताया है कि प्रतिबंधित माओवादी से उन शुभचिंतकों के संपर्क के बारे में ठोस सबूत के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 29 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को छह सितंबर तक घरों में ही नजरबंद रखने का आदेश देते वक्त स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ‘असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व’ है। यह पीठ गुरुवार को इस मामले में आगे सुनवाई करेगी। कोर्ट ने इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य की याचिका पर महाराष्ट्र पुलिस को नोटिस जारी किया था। इस याचिका में भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। पुलिस ने इस नोटिस के जवाब में ही हलफनामा दाखिल किया है। पुलिस ने दावा किया है कि ये लोग हिंसा फैलाने और सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला करने की योजना बना रहे थे।