हिमाचल का 36 फीसदी राजस्व चूस गया जीएसटी

देश में पुड्डुचेरी के बाद पहाड़ी प्रदेश को कर संग्रह में सबसे ज्यादा नुकसान

नई दिल्ली  -चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीने में अप्रैल से अगस्त तक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत हिमाचल प्रदेश को राजस्व संग्रह में 36 फीसदी का नुकसान हुआ है। यह राजस्व घाटा पुड्डुचेरी  (42 प्रतिशत) के बाद देश में सबसे ज्यादा है। पूरे देश की बात की जाए तो इस अवधि के दौरान 10 राज्यों को राजस्व संग्रह में 20 प्रतिशत या उससे ज्यादा का नुकसान हुआ है, जिससे केंद्र सरकार की चिंता बढ़ गई है। जीएसटी परिषद की शुक्रवार को हुई 30वीं बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी लागू करते समय अनुमान था कि उपभोक्ता राज्यों का राजस्व संग्रह बढ़ेगा तथा उत्पादक राज्यों को नुकसान होगा। चालू वित्त वर्ष के अगस्त तक के आंकड़े अलग तथ्य दर्शाते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा यह राज्यों के स्थानीय कारकों की वजह से है तथा आने वाले समय में उपभोक्ता राज्यों का संग्रह बढ़ेगा। जीएसटी के दूसरे वर्ष में भी एक तिहाई राज्यों का राजस्व घाटा 20 प्रतिशत से ज्यादा होने के कारण सरकार हरकत में आई है और वित्त सचिव हसमुख अधिया ने इनमें से पांच राज्यों का दौरा कर इसकी वजह जानने की कोशिश की है। वह अन्य राज्यों में भी जाने वाले हैं। सबसे ज्यादा 42 प्रतिशत राजस्व घाटा पुड्डुचेरी का रहा है। जीएसटी में पंजाब और हिमाचल प्रदेश का संग्रह 36-36 प्रतिशत, उत्तराखंड का 35 प्रतिशत, जम्मू एवं कश्मीर का 28 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ का 26 प्रतिशत, गोवा का 25 प्रतिशत, ओडिशा का 24 प्रतिशत तथा कर्नाटक और बिहार का 20-20 प्रतिशत कम रहा है। इसके अलावा तेलंगाना, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, असम और पश्चिम बंगाल को सात प्रतिशत तक राजस्व नुकसान हुआ है, जबकि राजस्थान, गुजरात, हरियाना, मेघालय, मध्य प्रदेश, झारखंड, केरल, त्रिपुरा और दिल्ली का राजस्व नुकसान दहाई अंक में 12 से 19 प्रतिशत के बीच है। इन आंकड़ों में उपकर का हिस्सा शामिल नहीं किया गया है। उल्लेखनीय है कि जीएसटी में केंद्र सरकार ने पांच साल तक हर राज्य को राजस्व नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया है। राज्यों के 2015-16 के राजस्व संग्रह को आधार माना गया है तथा सरकार ने हर वर्ष उनका मानक राजस्व तय करने के लिए 14 प्रतिशत सालाना राजस्व वृद्धि का सूत्र अपनाया है। सालाना 14 प्रतिशत जोड़ने के बाद इस आंकड़े से जितना कम संग्रह होगा, उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी। श्री जेटली ने बताया कि पहले वर्ष अगस्त 2017 से मार्च 2018 तक राज्यों का राजस्व घाटा 16 प्रतिशत रहा था जो इस साल अगस्त तक घटकर 13 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने बताया कि आंकड़े यह दर्शा रहे हैं कि उपभोक्ता राज्यों का घाटा ज्यादा है, लेकिन तथ्य की तह तक जाने से पता चलता है कि इसके स्थानीय कारण हैं। मुख्य कारण यह है कि कई राज्यों ने अलग-अलग नाम से विशेष कर लगा रखे थे, जिसके कारण उन्हें तुलनात्मक नुकसान हो रहा है।

यूं हो रहा नुकसान

राज्य      राजस्व घाटा

पुड्डुचेरी  42 प्रतिशत

हिमाचल  36 प्रतिशत

पंजाब     36 प्रतिशत

उत्तराखंड             35 प्रतिशत

जे एंड के             28 प्रतिशत

छत्तीसगढ़             26 प्रतिशत

गोवा                   25 प्रतिशत