328 दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध

केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने उत्पादन-वितरण पर लगाई रोक

बीबीएन— केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने तत्काल प्रभाव से 328 एफडीसी (फिक्स्ड डोज कांबिनेशन) के उत्पादन, बिक्री अथवा वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अतिरिक्त कुछ शर्तों के साथ छह एफडीसी के उत्पादन, बिक्री अथवा वितरण पर बाध्यताएं लगाई गई हैं। सरकार ने यह कदम विशेषज्ञ समीति की सिफारिशों के आधार पर उठाया है, जिसमें इन एफडीसी के इस्तेमाल से मानव जीवन को खतरे का अंदेशा जताया गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए सात सितंबर, 2018 को अपनी गजट (राजपत्र) अधिसूचनाओं के जरिए मानव उपयोग के उद्देश्य से 328 एफडीसी के उत्पादन, बिक्री अथवा वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने जिन 336 एफडीसी पर रोक लगाई है, उनमें फेंसीडिल और कोरेक्स कफ  सीरप भी शामिल हैं। ये दवाएं केंद्र सरकार की अनुमति के बिना बेची जा रही थीं। बहरहाल प्रतिबंध से देश में फ ार्मास्यूटिकल सेल्स पर हजारों करोड़ रुपए का असर पड़ेगा। हिमाचल में भी 20 फीसदी दवा उद्यमी प्रतिबंधित की गई 336 एफडीसी दवाओं में से ज्यादातर का उत्पादन कर रहे हैं, जिनके लिए यह प्रतिबंधित बड़े झटके से कम नहीं है। गौरतलब है कि बाजार में इस समय तीन हजार से ज्यादा एफडीसी दवांए उपलब्ध हैं। सरकार ने इन दवाओं में से 328 के निर्माण, बिक्री व वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है, क्योंकि इन्हें प्रभावशाली नहीं पाया गया। दो या दो से अधिक दवाओं के निश्चित अनुपात के कांबिनेशन को फि क्स्ड डोज कांबिनेशन (एफडीसी) कहा जाता है। ये कांबिनेशन सिंगल डोज में उपलब्ध रहता है।

15 अरब रुपए की बिक्री प्रभावित

इस प्रतिबंध से 15 अरब रुपए की बिक्री प्रभावित होगी, लेकिन वास्तविक आंकड़ों का तत्काल अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। घरेलू दवा बाजार का आकार करीब 1.25 लाख करोड़ रुपए है और इसकी बिक्री में एफडीसी की हिस्सेदारी करीब आधी है। डीटीएबी की सिफारिशों में जो उत्पाद शामिल हैं, उनकी हिस्सेदारी कुल कारोबार में 2.3 प्रतिशत या करीब 28 अरब रुपए की है।