काली दिवाली मनाएंगे किसान

 सिरसा —हरियाणा के सिरसा में करीब दस वर्ष पहले रिहायशी सेक्टर विकसित करने के मकसद से अधिगृहित की गई लगभग तीन सौ एकड़ जमीन को डी-नोटिफाई करने के सरकार के फैसले से आहत किसानों ने काली दिवाली मनाने का निर्णय लिया है।  यह जानकारी पीडि़त किसानों ने पत्रकारों को दी। पीडि़त किसान अमर, इंद्रजीत सिंह, निर्मल सिंह, पूर्ण सिंह तथा सुरेश मेहता एडवोकेट ने बताया कि भारत-पाक बटंवारे के वक्त सैकड़ों परिवार यहां विस्थापित हुए, जिन्हें भरण-पोषण के लिए बंजर भूमि मिली, जिसे हाड़तोड़ मेहनत से कृषि योग्य बनाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने रिहायशी क्षेत्र विकसित करने के लिए वर्ष 2008 में वैदवाला, नेजाडेला व खैरपुर गांवों की करीब 300 एकड़ भूमि अधिगृहित की थी। इसके बदले 50 लाख रुपए प्रति एकड़ किसानों को मुआवजा प्रदान किया। इस राशि को कम आंकते हुए किसानों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो इसे बढ़ाकर 96.80 लाख कर दी गई, जो किसानों को नहीं मिली। उन्होंने पिछले दस वर्षों से किसानों की इच्छा के विरुद्ध जमीन से हुई बेदखली तथा जबरन अधिग्रहण की नीतियों को वापस लेने तथा अदालत के आदेशों की पालना करते हुए मुआवजा राशि देने की मांग की। किसानों ने आरोप लगाया कि इस आदेश को लगभग डेढ़ साल हो गया है और विभाग अदालत को गुमराह कर रहा है।  किसानों ने कहा कि बाजार में चल रही मंदी के कारण विभाग ने यह कदम उठाया है। इन जमीनों का सिंचित जल भी कट चुका है। अधिगृहित जमीन एक बार फिर बंजर स्थिति में आ गई है। प्रदेश सरकार ने अब से पहले उन्हें 50 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से जो पैसा दिया उस पैसे को उन्होंने जमीन, घर ,शादी इत्यादि में खर्च कर दिया है और यह पैसा सरकार को लौटाना पड़ा तो किसानों के सामने मुश्किल खड़ी हो जाएगी। किसानों ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा वैदवाला की तकरीबन 34 एकड़ भूमि अधिकृत की गई है, जिसमें हमारी भी जमीन शामिल है, जिसका हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने एक करोड़ 72 लाख रुपए के लिहाज से पैसा वसूल किया है। गांव खैरपुर की वर्ष 2005 में रिहायशी सैक्टरों के लिए अधिगृहित भूमि का मुआवजा अभी तक किसानों को नहीं मिला है, वे संघर्ष कर रहे हैं।