परवाणू को तीन महीने में एसटीपी

कसौली – हिमाचल के पहले औद्योगिक शहर परवाणू में तीन माह के भीतर एसटीपी यानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाएगा। यह निर्देश एनजीटी ने घग्घर नदी के लगातार बढ़ते प्रदूषण का सू-मोटो लेते हुए जारी किए हैं। एनजीटी के निर्देशों पर रिटायर्ड जस्टिस प्रीतम पाल के नेतृत्व में एक विशेष तीन सदस्यों की कमेटी गठित की गई है। कमेटी एसटीपी निर्माण की हर गतिविधि सुपरवाइज करेगी। परवाणू में डेढ़ करोड़ की लागत से यह एसटीपी तैयार किए जाएंगे, जिसके लिए हिमाचल सरकार-प्रदूषण बोर्ड-परवाणू के उद्योगों को 50-50 लाख रुपए की राशि को जुटाना होगा। प्रदूषण बोर्ड की ओर से एसटीपी निर्माण के लिए आईपीएच विभाग को प्रोपोजल तैयार करने के लिए निर्देश दिए जा चुके हैं। पोल्यूशन बोर्ड के इंचार्ज अतुल परमार का कहना है कि परवाणू की औद्योगिक इकाइयों को एसटीपी निर्माण में 50 लाख के सहयोग जुटाने के लिए कहा जा चुका है। आईपीएच को भी प्रपोजल तैयार करने के लिए निर्देशित किया गया है। परवाणू में डेढ़ करोड़ से तीन एसटीपी बनेंगे। नाले में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग पर भी कार्रवाई हो रही है। परवाणू की भौगोलिक परिस्थितियां देखते हुए पूरे शहर को एक ही एसटीपी के अधीन नहीं लिया जा सकता। इसके लिए प्रदूषण बोर्ड शहर में तीन एसटीपी लगाएगा, जिन्हें सेक्टर एक व दो, सेक्टर तीन व छह तथा सेक्टर चार व पांच में बांटा जाएगा।

40 साल से नालों में बह रही गंदगी

प्रदेश का पहला इंडस्ट्रियल एरिया होने के बावजूद परवाणू 40 साल बाद भी एसटीपी जैसी मूल सुविधा से महरूम रहा है। सरकारों ने हमेशा ही सुविधाओं के मामले में शहर को उपेक्षित रखा। मौजूदा एसटीपी भी एनजीटी की मेहरबानी से ही शहर को मिलने जा रहा है।

कालाअंब में भी एसटीपी के निर्देश

एनजीटी की और से परवाणू की तरह कालाअंब औद्योगिक क्षेत्र में भी एसटीपी लगाने के निर्देश हुए हैं। इस शहर में भी सीवरेज ट्रीटमेंट की सुविधा ना होने से मारकंडा नदी का प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ रहा है।