हिमाचल पुलिस के लिए 4.21 करोड़

केद्र सरकार ने मंजूर किया एक्शन प्लान, आधुनिकीकरण पर खर्च होगा पैसा

शिमला – केंद्र सरकार ने हिमाचल पुलिस के लिए 4.21 करोड़ का स्टेट एक्शन प्लान मंजूर कर लिया है। यह प्लान साल 2018-19 के लिए मंजूर किया गया है। इसके तहत पुलिस विभाग में संचार, ट्रैफिक उपकरणों की खरीद के साथ ही हथियारों की खरीद की जाएगी। जून में केंद्रीय गृह मंत्रालय की हाई पावर कमेटी में हिमाचल की ओर से 421 लाख का वार्षिक प्लान रखा गया था। कमेटी ने तब इसे सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी। इसके तहत 54.40 लाख के संचार उपकरण, 56.49 लाख के ट्रैफिक उपकरण, 47 लाख के हथियार, वज्र व प्रिजनर वैन के लिए 50 लाख रुपए, गृह रक्षा विभाग के उपकरणों के लिए सात लाख, एफएसएल के लिए 1.25 करोड़, सुरक्षा उपकरणों के लिए 49.26 लाख के साथ-साथ पुलिस जवानों को प्रशिक्षित करने के लिए 31.84 लाख के उपकरण खरीदे जाने हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्लान को अब फाइनल मंजूरी दे दी है। पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत 90 फीसदी राशि केंद्र, जबकि दस फीसदी राज्य सरकार वहन करेगी। इस तरह 4.21 करोड़ के वार्षिक प्लान में केंद्र सरकार का हिस्सा 3.79 लाख रहेगा, जबकि इसमें 43 लाख राज्य की हिस्सेदारी रहेगी। इस तरह इस राशि से पुलिस विभाग में कई सुविधाएं अपग्रेड की जाएंगी। इस बार केंद्र सरकार ने हिमाचल को पिछले साल की तुलना में करीब 42 लाख अतिरिक्त का एक्शन प्लान मंजूर किया है। पिछले साल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हिमाचल पुलिस के लिए 3.78 करोड़ रुपए का वार्षिक एक्शन प्लान मंजूर किया था। इसमें केंद्र सरकार की 3.36 करोड़ की हिस्सेदारी थी, जबकि राज्य सरकार का इसमें हिस्सा 42.67 लाख रुपए था। पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत पुलिस जवानों को आधुनिक हथियारों के साथ-साथ संचार सुविधाओं में काम आने वाले आधुनिक उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इसके अलावा फोरेंसिक सुविधाओं का भी इसके माध्यम से विस्तार किया जा रहा है। डीजीपी एसआर मरड़ी का कहना है कि केंद्र सरकार ने हिमाचल का स्टेट एक्शन प्लान मंजूर कर लिया है। इसे पुलिस विभाग के आधुनिकीकरण पर खर्च किया जाएगा।

केंद्र ने 2001 में लागू की थी योजना

केंद्र सरकार सभी राज्यों को पुलिस आधुनिकीरण योजना के तहत फंड जारी कर रही है। यह योजना साल 2001 में लागू की थी। हिमाचल विशेष राज्य की श्रेणी में आता है और ऐसे में हिमाचल के संदर्भ में इस योजना की 90 फीसदी राशि केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है, जबकि बाकी दस फीसदी राशि राज्य सरकार द्वारा।