1400  योजनाओं के लिए कम पड़ा पैसा

भारी पड़ी ढील, आनन-फानन में बना दिया 780 करोड़ का खाका…और

 शिमला —प्रदेश के सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग को 1400 पुरानी योजनाओं की रिमॉडलिंग के लिए मंजूर प्रोजेक्ट पर अफसरों की ढील भारी पड़ गई। सूत्रों के अनुसार आईपीएच के अधिकारियों ने जल्दबाजी में पुरानी योजनाओं का खाका तैयार कर उसके लिए आनन-फानन में 780 करोड़ रुपए की डिमांड का मसौदा बना दिया, जिसे केंद्र सरकार ने फंडिंग के लिए मंजूर भी कर लिया, परंतु अब पता चला कि इतना पैसा 1400 योजनाओं के लिए नाकाफी है। यह खुलासा जब आईपीएच के अफसरों ने ही विभागीय मंत्री के सामने किया, तो उन्हें फटकार भी लगी, क्योंकि उन्होंने गंभीरता नहीं दिखाई और जल्दबाजी में कम एस्टीमेट बनाकर दे दिया। इसी प्राकलन को केंद्र सरकार ने भी मंजूरी दे दी और एशियन डिवेलपमेंट बैंक भी पैसा देने को तैयार है। ऐसे में अब जब पैसा कम पड़ता दिखाई दिया है, तो प्रदेश ने फिर से केंद्र से योजनाओं की रिमॉडलिंग के लिए धनराशि बढ़ाने की मांग उठा दी, जिसे नकार दिया गया है। अब देखते हैं कि योजनाओं का क्या होता है।

अब पैसा लेना आसान नहीं

एडीबी ने कहा है कि वह फिलहाल योजनाओं के लिए धनराशि नहीं बढ़ाएगा और पहले प्रदेश को 780 करोड़ रुपए खर्च कर इसका रिजल्ट देना होगा। इसके बाद ही और पैसा दूसरे चरण में देने पर विचार किया जा सकता है। ऐसे में इन योजनाओं के लिए पहले ही अच्छा खासा पैसा मिल सकता था, परंतु विभागीय अधिकारियों की लापरवाही इस पर भारी पड़ गई है। अब दूसरे चरण में एडीबी से पैसा लेना आसान नहीं होगा, लिहाजा मामला अटक गया है।

आ रही एडीबी की टीम

जल्दी ही एडीबी की टीम प्रदेश के दौरे पर आएगी, जो यहां ये योजनाएं देखेगी, जिनकी रिमॉडलिंग की जानी है। इनके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम शुरू हो गया है, जिसका भी आकलन खुद एडीबी के विशेषज्ञ करेंगे। हालांकि इन योजनाओं के लिए अभी पैसा मिलने में देरी होगी, क्योंकि पहले कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करनी हैं, परंतु जिस तरह अधिकारियों ने लापरवाही दिखाई है, उसका नतीजा हक में नहीं रहा है। 1400 योजनाओं की रिमॉडलिंग के साथ-साथ यहां एडीबी ने वाटर कंजरवेशन प्रोजेक्ट को भी फंडिंग करनी है, लिहाजा उस योजना पर चर्चा होनी है। इसी महीने एडीबी की टीम शिमला आएगी, जिनकी यहां विभागीय मंत्री व अधिकारियों के साथ बैठकें होनी हैं।