उम्दा सब कुछ

जेन साधक  बंजान बाजार से गुजर रहा था। उसके कानों में एक कसाई और उसके ग्राहक के बीच हुआ यह संवाद पड़ा।

मुझे अपनी दुकान में से सबसे उम्दा मांस का टुकड़ा चुन कर दो। ग्राहक ने कहा।

मेरी दुकान में सब कुछ तो उम्दा ही है, कसाई ने जवाब में कहा, आप खोज कर भी एक टुकड़ा मांस नहीं निकाल सकते, जो उम्दा न हो।

ये शब्द कान में पड़ते ही बंजान को ज्ञान की उपलब्धि हो गई।