पूरा हो राम राज्य का सपना

प्रेम चंद माहिल, हमीरपुर

त्रेतायुग में दशरथ का बेटा राम आया था, जिसने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपने परिवार को 14 साल जंगलों में घुमाया था। राम राज्य ऐसा था, जिसे आज भी फिर से हर भारतीय देखना चाहता है। राम राज्य में न्याय प्रणाली सशक्त थी, भेदभाव से ऊपर उठ कर सबको न्याय मिलता था। उदाहरण के लिए राम ने सीता माता को भी जंगल का रास्ता दिखा दिया था। क्या आधुनिक काल में किसी शासक से यह आशा की जा सकती है? आधुनिक काल में कलियुग का प्रभाव हर जगह, हर बात, हर कार्य पर चढ़ चुका है। दिवाली का त्योहार भी इससे अछूता नहीं है। इस बात पर मंथन करना होगा। आज भाई-भाई का वैरी है, पति-पत्नी में तकरार है, बुजुर्गों का औलाद दुतकार है। न्यायालयों में फाइलों का अंबार है, भ्रष्टाचार का रिवाज है। कहां गया है राम राज्य, कहां गई राम की सोच, कहां गया लोगों का शांतिमय जीवन? आज दिवाली अवश्य मनाई जाती है, परंतु तरीका अलग है। जुआ खेलकर लाखों रुपए लुटा रहे हैं, शराब के जाम छलक रहे हैं, शराब पीकर कई जगह लोग गुथमगुथा हो रहे हैं। स्त्री तिरस्कार, बुजुर्गों को दुत्कार, चोरी, डकैती, रिश्वतखोरी सरेआम हो रही है। आज राम राज्य मात्र कल्पना के कुछ नहीं है। हम सोचते हैं कि हम आधुनिक हुए हैं, परंतु वास्तव में हम अवनति के गर्त में धकेले जा रहे हैं। हमें अपने बच्चों को पुराने रीति-रिवाजों के बारे में जरूर समझाना है। सामूहिकता का पाठ पढ़ाना है। वास्तव में दिवाली उत्सव मनाने का फल पाना है। भारत में राम राज्य का सपना साकार हो। प्राणी शांतिमय जीवन भोग सके, स्त्री का सत्कार हो, राजनीति ऐसी हो, जिसमें सबका भला हो।