राहत और रिश्ते

जयराम सरकार ने फैसलों की बरसात में राहत और रिश्ते बड़े करीने से सजाए हैं, अतः निर्णायक होने की मुद्रा में नीतियों की कुंडलियां भी खुली हैं। अनधिकृत निर्माण को नियमित करने की दस फीसदी छूट से कई लंबित फाइलों की गांठें खुलेंगी और इस तरह अड़चनों का ठहराव भी टूटेगा। पर्यटन परिवहन क्षेत्र में कांट्रैक्ट कैरिज वाहनों की कंपोजिट फीस पर अतीत के फार्मूले को पलटी मारकर दैनिक हिसाब लगाया जा रहा है, तो इस पद्धति में हिमाचल अपने पड़ोसी राज्यों की कतार में खड़ा हो गया है। निजी परिवहन क्षेत्र में यह फैसला हाथोंहाथ लिया जाएगा और यह समझा जाएगा कि हिमाचल सरकार अड़चनों को हटाकर कामकाजी वातावरण को मैत्रीपूर्ण बनाने के हक में है। जनता को राहत पहुंचाने के लिए ‘हिम केयर’ यानी मुख्यमंत्री स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम तथा यूनिवर्सल हैल्थ कार्ड को सुविधाजनक बनाने की मुहिम का आगाज अब नए अंदाज में होगा, जहां साल में एक बार के पंजीकरण से नागरिकों को चिकित्सा की गारंटी हासिल होगी। दोनों योजनाओं के माध्यम से हिमाचल के हर परिवार को चिकित्सा कवरेज के तहत पांच लाख तक का स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। जाहिर है इससे आम नागरिकों को मिलने वाली सहूलियतों में इजाफा होगा। देखना यह होगा कि ऐसी योजनाओं के कार्यान्वयन की पद्धति किस तरह सौ फीसदी सक्षम, कारगर तथा पारदर्शी हो पाती है। अंततः कागजी गारंटी का लाभ तभी संभव है, जब सरकारी या निजी अस्पतालों का प्रबंधन, कौशल व जवाबदेह माहौल भी चिकित्सकीय सेवाओं की गारंटी दे। अभी तक के अनुभव में दोनों ही पक्ष इस हाल में दिखाई नहीं देते कि हिमकेयर को वास्तव में प्रश्रय दें। विडंबना यह भी है कि सरकारी अस्पतालों की खामियों से उपजे निजी चिकित्सालय भी अपने ढर्रे में केवल व्यावसायिक उपलब्धियां ही अर्जित कर रहे हैं। हिमकेयर का असली मकसद तब हल होगा, जब सरकार अस्पताल प्रबंधन तथा निरीक्षण की व्यवस्था में मरीजों का विश्वास तथा संतोष भी अर्जित करे। प्रदेश की चिकित्सकीय सुविधाओं में मेडिकल यूनिवर्सिटी के दायित्व में नई ऊर्जा का संचार संभव है, लेकिन व्यवस्थागत प्रतिबद्धता का अलख तो डिस्पेंसरी से मेडिकल कालेजों तक जगाना पड़ेगा। सरकार को चाहिए कि मेडिकल यूनिवर्सिटी के साथ जोनल अस्पतालों को जोड़ते हुए स्वास्थ्य सेवाओं के पैमानों में सुधार किया जाए। इसी तरह जिला मुख्यालयों पर स्थित क्षेत्रीय अस्पतालों को रोग विशेष का राज्य स्तरीय दर्जा दें, ताकि हिमकेयर का मकसद अपनी मंजिल भी तय करे। हिमाचल की भाजपा सरकार ने अपने रिश्तों की गवाही में पतंजलि की साधुपुल में खुर्द बुर्द हुई अमानत के फिर से ताले खुलवाने का मनोरथ पूरा किया है। अब बाबा रामदेव के प्रतिष्ठान को जयराम सरकार ने अपनी आदरांजलि स्वरूप जमीन का हस्तांतरण सुनिश्चित करते हुए पूर्व सरकार द्वारा पैदा किए अवरोध हटाते हुए रिश्ते मजबूत किए हैं। इसी तरह अपनी छवि को परिमार्जित करते उद्देश्य पर, गो सेवा आयोग को हरी झंडी देकर अभियान को चरितार्थ करने का संकल्प पुख्ता कर दिया। फैसलों की इबारत में जो कुछ लिखा गया, उसमें हम क्षेत्रीय विकास की उपमाओं तथा संबोधनों का स्पर्श भी देखेंगे। एक साथ चार सिविल कोर्ट, चंद पुलिस चौकियां तथा नालागढ़ में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय की स्वीकृति सरकार की नई करवटों की नुमाइश है। घोषणाओं पर फैसलों की नींव रखते हुए मुख्यमंत्री के अपने क्षेत्र का खाका और मजबूत होता देखना है तो मंडप उपतहसील का दायरा और सराज में राजकीय फार्मेसी कालेज की स्थापना का महत्त्व चिन्हित होता है। राज्य ठोस कचरा प्रबंधन का मसौदा नीतिगत मंजूरी से लिपट कर प्रदेश में स्वच्छता अभियान को नए आयाम दे सकता है। यह इसलिए भी कि ग्रामीण स्तर तक लटके डस्टबिन पूरी तरह कचरे व गंदगी से भर चुके हैं और अगर निष्पादन सुनिश्चित होता है, तो ऐसे अभियान की पूर्णता भी दिखाई देगी। सरकार ने अंशकालीन जलवाहकों को दैनिक भोगी बनाकर इस काडर को राहत दी है, तो कई श्रेणियों में रिक्तियां भरी जा रही हैं। शिक्षक भर्ती में व्यापक स्तर पर दृढ़ प्रतिज्ञ दिखाई दे रही सरकार अगर चयन में निष्पक्षता भी साबित कर पाई, तो शिक्षा क्षेत्र पर सबसे बड़ा उपकार होगा। इन्वेस्टर मीट के नए वादे को रेखांकित करता मंत्रिमंडलीय इरादा, अपने मजमून की इबारत पुनः लिख रहा है। जून माह में निवेश की नई कहानी लिखने को तैयार हिमाचल, कितनी तैयारी कर पाता है, लेकिन इससे पहले विधानसभा के दो सत्र तथा आगामी लोकसभा चुनाव का नजारा जाहिर तौर पर प्रदेश की राजनीति को फिर से लिखने की फिराक में रहेगा।

जीवनसंगी की तलाश है? तो आज ही भारत  मैट्रिमोनी पर रजिस्टर करें- निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!