महत्त्व
रोटी, कपड़ा और मकान इनसान की अहम जरूरत हैं। प्राचीन काल से लेकर आज तक व्यक्ति अपने साथ-साथ दूसरों की खुशहाली की दुआ भी मांगता रहा है। ठीक इसी प्रकार सबके कल्याण की भावना के लिए अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। भारतीय संस्कृति के पर्वों में अन्नपूर्णा जयंती का वैज्ञानिक महत्त्व भी है। इस त्योहार पर अन्नपूर्णा देवी को मां गौरी का स्वरूप माना गया है। भगवान शिव के साथ उनकी भी पूजा होती है। ये पर्व जहां धार्मिक आस्था को बरकरार रखते हैं, वहीं ये सामाजिक व्यवस्था का भी हिस्सा हैं। धर्म के नाम पर होने वाले भंडारे भी अन्नपूर्णा का ही हिस्सा हैं। कभी भी अन्न आदि को व्यर्थ नहीं करना चाहिए। यही इस त्योहार का मुख्य
संदेश है।
स्त्रियों की भूमिका
घर में धन-धान्य का भंडार हो, लेकिन उसे स्त्री ही भली-भांति व्यवस्थित कर सकती है। इसलिए इस पूजा में स्त्रियों का विशेष महत्त्व होता है। कई विद्वानों के अनुसार स्त्रियों को भी अन्नपूर्णा माना गया है। इसलिए स्त्रियों द्वारा ही अन्नपूर्णा के दिन गैस और चूल्हे पर चावल और मिष्ठान का भोग लगाने के साथ ही एक दीपक जलाया जाता है, जिससे घर में कभी भंडार खाली न रहे। भारतीय पंचांग में मार्गशीर्ष मास का विशेष महत्त्व है। यह माह गेहूं की बुआई के लिए अच्छा रहता है, इसलिए भी अन्नदाता माने जाने वाले किसान अच्छी फसल के लिए अन्नपूर्णा जयंती पर अन्नपूर्णा देवी की पूजा करते हैं।