आउटसोर्स कर्मियों का सहारा कौन ?

विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने सरकार-महकमे से मांगा जवाब

धर्मशाला   – हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने आए दिन हो रहे हादसों को लेकर प्रदेश सरकार व विद्युत बोर्ड लिमिटेड के प्रबंधक वर्ग पर सवाल उठाए हैं। यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरबाड़ा का कहना है कि विभिन्न दुर्घटनाओं में मारे जा रहे या शारीरिक रूप से अपाहिज हो रहे ओउटसोर्स कर्मचारियों के परिवारों का जिम्मेदार कौन है? यूनियन ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि हाल ही में 10 दिसंबर को विद्युत मंडल धर्मशाला के अधीन करंट दुर्घटना से गंभीर रूप से घायल हुआ ओउटसोर्स कर्मचारी शशि कुमार गुरुवार को मौत का ग्रास बन गया। दुर्घटनाओं के कारण क्या रहे, यह गंभीर जांच का विषय है, लेकिन ऐसी दुर्घटनाओं से यह बात प्रमाणित होती है कि स्टाफ की कमी के चलते आउटसोर्स पर तैनात अकुशल मजदूरों को बिजली आपूर्ति को सुचारू रखने में दिक्कत हो रही है। विद्युत बोर्ड में मात्र एक साल के अंतराल में चार आउटसोर्स कर्मचारी विभिन्न दुर्घटनाओं में मारे जा चुके हैं, जबकि दो कर्मचारी गंभीर रूप से घायल होने के बाद शारीरिक रूप से अपाहिज हो चुके हैं। मदन लाल 15 जून व दुनी चंद 22 सितंबर, 2018 को दुर्घटना का शिकार हुए थे और ये दोनों कर्मचारी विद्युत मंडल चंबा के अधीन कार्यरत थे, जबकि 15 अप्रैल, 2017 को दुर्घटना में मारा गया मनोज कुमार विद्युत मंडल शाहपुर के अधीन कार्यरत था। साथ ही शारीरिक रूप से अपाहिज हो चुका दर्शन कुमार ट्रांसमिशन डिविजन ऊना और गोविंद सिंह विद्युत मंडल चंबा के अधीन कार्यरत था। यूनियन ने आरोप लगाया है कि इन कर्मचारियों का ईपीएफ नंबर तक अलॉट नहीं हुआ था। ऐसे यूनियन सरकार से इन कर्मियों को उचित मुआवजा देने और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग करती है। साथ ही यूनियन ने आउटसोर्सिंग की बजाय नियमित भर्ती किए जाने की मांग की है।