तपोवन में जयराम ठाकुर का यज्ञ सफल

कर्म सिंह ठाकुर

लेखक, सुंदरनगर से हैं

कुल मिलाकर छह दिनों का यह सत्र काफी सफल रहा, लेकिन विपक्ष के कड़े तेवर व तीखी नोक-झोंक ने यह संदेशा भी दे दिया कि आने वाले समय में विपक्ष और भी उग्र रूप दिखाएगा। जनता के चुने हुए प्रतिनिधि यदि पक्ष और विपक्ष की सजग व ईमानदार भूमिका निभाएं, तो लोकतंत्र की सफलता को कोई नहीं रोक सकता…

हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र धर्मशाला के तपोवन में 10 से 15 दिसंबर के बीच छह दिन तक चलने के बाद समाप्त हो गया। एक वर्ष के कार्यकाल में जयराम सरकार की दृष्टि व विजन लगभग सभी प्रदेशवासियों के जहन में पहुंच गया है। बजट में 30 नई योजनाएं शुरू करके प्रदेश को शिखर तक ले जाने की रूपरेखा रखी गई थी, जिसमें से बहुत सी योजनाओं को धरातल पर उतारा भी गया है, लेकिन एक वर्ष के छोटे से कार्यकाल में इनका मूल्यांकन करना शायद जल्दबाजी होगी। तपोवन में शीतकालीन सत्र का आयोजन वर्ष में एक बार ही होता है। इस बार का यह सत्र विपक्ष की चार्जशीट को लेकर सुर्खियों में था। विपक्ष ने आठ पन्नों का आरोप पत्र तैयार करके भाजपा सरकार से 13 प्रश्नों के जवाब मांगे। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सहित विपक्ष के अन्य सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित इस आरोप पत्र में कहा गया था कि प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री बनने के बाद लोगों की उम्मीदें सातवें आसमान पर थीं, लेकिन मुख्यमंत्री ने लोगों की आस को धूमिल कर दिया। विपक्ष द्वारा आरोपपत्र में ज्यादातर चुनावी वादे पूरे नहीं, आउट सोर्स के माध्यम से चोर दरवाजे से भर्ती, स्कूली बच्चों को नहीं मिली वर्दी, वर्दी का कार्य रुक सकता है, लेकिन बाबा रामदेव को लीज का कार्य फास्ट ट्रैक पर, इलेक्ट्रिक बस खरीद बड़ा भ्रष्टाचार, विश्व बैंक की बागबानी योजना पर भी प्रश्नचिन्ह, एक भी राष्ट्रीय राजमार्ग पर काम शुरू नहीं, खराब वित्तीय स्थिति, दो हेलिकॉप्टर लीज पर, नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले वापस, कानून व्यवस्था की दयनीय स्थिति, जनमंच ने बढ़ाया खर्चा, न्यायालय भी कर रहा सरकार की खिंचाई सहित 13 प्रश्नों पर विपक्ष ने खूब हंगामा किया। विधानसभा के शीतकालीन सत्र का पहला दिन कांग्रेस के नाम रहा। हंगामे के साथ शुरू हुए इस सत्र में विपक्ष ने सरकार के रणनीतिकारों व प्रबंधकों को संभलने का मौका ही नहीं दिया। सत्र के दूसरे दिन भारत के तीन बड़े राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार से कांग्रेसी विधायकों का मनोबल और भी उछल पड़ा।

इसके बाद सदन में ऊंचे स्वर व अभद्र भाषा, वाद-विवाद संवैधानिक नैतिक जिम्मेदारियों से कोसों दूर ले गया। आखिरकार सत्ता पक्ष को विधानसभा सत्र को सफल बनाना ही था। इसी दृष्टिकोण के मद्देनजर कप्तान जयराम ठाकुर ने सदन में कई महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पारित करके सफल बनाया, जिसमें सबसे महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव हिमालयन रेजिमेंट का सर्वसम्मति से पारित होना, बड़ी उपलब्धि है। प्रदेश में 1.75 लाख पूर्व सैनिक हैं। देश की सुरक्षा व पड़ोसी देशों से निपटने के लिए युद्ध में हिमाचल के वीर जवानों का बड़ा योगदान रहा है। पक्ष-विपक्ष ने इस महत्त्वपूर्ण विधेयक पर एकता दिखाकर हिमाचल के वीर सैनिकों की वतन पर कुर्बानी को श्रद्धांजलि दी। हिमालयन रेजिमेंट की स्थापना से करीब 10000 से अधिक युवा लाभान्वित होंगे। प्रदेश में बेरोजगारी गंभीर समस्या बनती जा रही है, ऐसे में नई हिमालयन रेजिमेंट के गठन से सशस्त्र बलों में हिमाचल का भर्ती कोटा बढ़ेगा। दूसरा महत्त्वपूर्ण विधेयक भी युवाओं से जुड़ा हुआ है। युवाओं को नशे के दलदल से बचाने के लिए एनडीपीएस एक्ट में संशोधन के मुताबिक मादक द्रव्य पदार्थ उनकी छोटी और बड़ी दोनों तरह की मात्रा गैर जमानती  होगी। सरकार ने विधेयक में सख्त प्रावधान किया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के इस विधेयक को पारित करके भी युवाओं के भविष्य को संरक्षित करने का बड़ा महत्त्वपूर्ण विधेयक पारित किया। सड़कों में घूमते बेसहारा गोधन को सहारा देने के लिए प्रदेश सरकार गो सेवा आयोग का गठन करेगी। पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर का राज्यों में गायों के परीक्षण, संरक्षण और कल्याण को लेकर गो सेवा आयोग की स्थापना को लेकर विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसके अतिरिक्त जीएसटी में संशोधन, जमाकर्ताओं के वित्तीय हित सुरक्षित करने का विधेयक, चिटफंड कंपनियों के खिलाफ संशोधन बिल, शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए प्रदेश में उच्चतर शिक्षा परिषद के गठन का विधेयक शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने एजुकेशन काउंसिल बिल-2018 सदन के पटल पर रखा।

अंतिम दिन सुंदरनगर के विधायक राकेश जमवाल ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा दर्शाए गए हिमाचल प्रदेश के  सात शहरों पांवटा साहिब, काला अंब, बद्दी, परवाणू, नालागढ़, डमटाल तथा सुंदरनगर में बढ़ते प्रदूषण का प्रश्न उठाया, जिस पर मुख्यमंत्री ने पोल्यूशन एबिटिंग प्लांटेशन अभियान यानी ‘पापा’ अभियान के अंतर्गत पौधरोपण करके प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने का आश्वासन दिया। कुल मिलाकर छह दिनों का यह सत्र काफी सफल रहा, लेकिन विपक्ष के कड़े तेवर व तीखी नोक-झोंक ने यह संदेशा भी दे दिया कि आने वाले समय में विपक्ष और भी उग्र रूप दिखाएगा। जनता के चुने हुए प्रतिनिधि यदि पक्ष और विपक्ष की सजग व ईमानदार भूमिका निभाएं, तो लोकतंत्र की सफलता को कोई नहीं रोक सकता। सदन में व्यक्तिगत कटाक्ष, स्वार्थों की पूर्ति नहीं होनी चाहिए। राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में बदलाव होना समय की मांग है।

वर्तमान प्रदेश सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि विधानसभा के बाहर भी प्रदेश की जनता ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर अपनी मांगों की ओर ध्यान केंद्रित करवाया है, जिसमें सबसे बड़ी संख्या में पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर रहा जन आंदोलन भी शामिल हैं। आगामी विधानसभा का सत्र बजट लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर तैयार किया जाएगा, जिसमें यह उम्मीद जताई जा रही है कि बेरोजगारी से जूझ रहे युवाओं को रोजगार के नए अवसर, सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली तथा अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए स्टडी लीव इत्यादि का प्रावधान होगा।