सस्ता सौर ट्रैकिंग सिस्टम लाएगी शूलिनी यूनिवर्सिटी

सोलन   — ऊर्जा और शक्ति आधुनिक युग की मूलभूत आवश्यकता बन गई है। ईंधन को कम करने और ऊर्जा के गैर नवीकरणीय स्रोतों के बढ़ते उपयोग की चिंता के चलते सौर ऊर्जा का उपयोग कोयले और पेट्रोलियम जैसे ईंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए संभावित समाधान के रूप में देखा जा रहा है। भारत में ऐसे ग्रामीण इलाके अभी भी हैं, जहां उचित बिजली की आपूर्ति नहीं है, क्योंकि सरकार आर्थिक और विषम भौगोलिक स्थान या किसी अन्य कारणों के चलते कुछ क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति करने में सक्षम नहीं है। शूलिनी विवि के सौरभ अग्रवाल सहायक प्रोफेसर, मेकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग ने बताया कि इसके हल के लिए छोटी छत पर सौर तंत्र एक अच्छा विकल्प हो सकता है, लेकिन सौर पैनलों का उपयोग करने की समस्या यह है कि वे स्थिर हैं, जबकि सूर्य हमेशा अपनी दिशा बदलता रहता है। हालांकि, बाजार में कई सूर्य ट्रैकिंग सिस्टम उपलब्ध हैं, जो कि एक छोटे पैमाने पर इस्तेमाल करने के लिए बहुत ही महंगा है। शूलिनी यूनिवर्सिटी की टीम ने व्यक्तिगत या छोटे उपयोगकर्ताओं के लिए एक लागत प्रभावी सूर्य ट्रैकिंग सिस्टम लाने की योजना बनाई है। प्रस्तावित सौर ट्रैकिंग सिस्टम का डिजाइन पेटेंट पिछले साल शूलिनी विवि के प्रोफेसर्ज द्वारा दायर किया गया था, जिसे इस साल 24 अगस्त को स्वीकार किया गया था। पेटेंट को सौरभ अग्रवाल, डा. नीरज गंडोत्रा, एसोसिएट प्रोफेसर, मेकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग स्कूल और प्रोफेसर भास्कर गोयल, मेकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग स्कूल के प्रमुख प्रोफेसर भास्कर गोयल द्वारा दायर किया गया है। सौरभ अग्रवाल ने कहा कि टीम अभी भी परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर काम कर रही है।