सिस्टिक फाइब्रोसिस क्या होता है

यह सीएफटीआर जीन के डिफेक्ट से होती है, जिसके कारण  त्वचा नमकीन जैसा स्वाद देने लगती हैं।  इस बीमारी के कारण बच्चों की आंत, लिवर, ओवरी और लंग्स बुरी तरह प्रभावित होते हैं। ये बीमारी न सिर्फ  बच्चों तक सीमित रहती है, बल्कि आगे की जेनेरेशन में भी होती जाती है…

सिस्टिक फाइब्रोसिस एक आनुवंशिक बीमारी है, जो फेफड़े को प्रभावित करती है। इससे ग्रस्त रोगी सांस की समस्या से परेशान हो जाता है। यह सीएफटीआर जीन के डिफेक्ट से होती है, जिसके कारण  त्वचा नमकीन जैसा स्वाद देने लगती हैं।  इस बीमारी के कारण बच्चों की आंत, लिवर, ओवरी और लंग्स बुरी तरह प्रभावित होते हैं। ये बीमारी न सिर्फ  बच्चों तक सीमित रहती है, बल्कि आगे की जेनेरेशन में भी होती जाती है।

सिस्टिक फाइब्रोसिस के लक्षण

सिस्टिक फाइब्रोसिस के लक्षण एक बच्चे से दूसरे बच्चे में अलग-अलग हो सकते हैं। समय के बीतने के साथ इस बीमारी से होने वाली समस्याएं बेहतर या बदतर हो सकती है। कुछ बच्चों में इसके लक्षण जन्म से ही दिखने लगते हैं, तो कुछ में ये किशोरावस्था में देखने को मिलते हैं। इस बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण त्वचा का नमकीन जैसा स्वाद हो जाना होता है। जिसके चलते बच्चों के पसीने में जरूरत से ज्यादा नमक होता है। इसके अलावा सांस की समस्या, कमजोर पाचन तंत्र आदि होते हैं।

सिस्टिक फाइब्रोसिस की जांच

सिस्टिक फाइब्रोसिस की जांच ब्लड टेस्ट, इम्यूनोरिएक्टिव ट्राईप्सिनोजेन, स्वेट क्लोराइड टेस्ट, जेनेटिक टेस्ट, स्पूटम टेस्ट, आर्गन टेस्ट, सीटी स्कैन, चेस्ट एक्सरे और लंग फंक्शन आदि के टेस्ट से की जा सकती है।

सिस्टिक फाइब्रोसिस का उपचार

सिस्टिक फाइब्रोसिस के पूरी तरह उपचार के लिए अभी तक कोई भी इलाज नहीं है। हालांकि लक्षण को रोकने और समस्याओं को कम करने के लिए कई विकल्प है।

सिस्टिक फाइब्रोसिस की समस्या में आराम पाने के लिए कई तरह की एंटीबायोटिक ली जा सकती हैं, जो भविष्य में लंग को खराब होने से बचाए रखें। इसके अलावा म्यूकस थिंनिंग ड्रग्स, ब्रोनक्डिलेट्रस, बाउल सर्जरी, फीडिंग ट्यूब, लंग ट्रांसप्लांट आदि से इसका इलाज कर सकते है।

सिस्टिक फाइब्रोसिस से बचाव

अगर परिवार में किसी को भी सिस्टिक फाइब्रोसिस की शिकायत है, तो गर्भावस्था के दौरान इसकी नियमित जांच करानी चाहिए। इसे खून और थूक से जांचा जा सकता है।