हिमाचल को केंद्र से आया रिमाइंडर

 शिमला —बिजली एक्ट 2003 में संशोधन करने की केंद्र सरकार की सोच पर हिमाचल ने अपने सुझाव नहीं दिए हैं। करीब एक महीना पहले प्रदेश सरकार को सुझाव भेजने थे, परंतु उसने नहीं भेजे। अब इस पर केंद्र सरकार की ओर से रिमाइंडर आया है और जल्द सुझाव पत्र भेजने को कहा गया है। इन संशोधनों को लेकर यहां अधिकारियों ने चर्चा की है, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। जल्दी ही अफसरों की एक और बैठक इस संबंध में होगी, क्योंकि केंद्र के संशोधन से हिमाचल में बिजली सेक्टर का पूरी तरह से निजीकरण हो जाएगा, इसलिए प्रदेश सरकार शायद ही इस हक में हो। क्योंकि बिजली क्षेत्र में उसके हजारों कर्मचारी काम कर रहे हैं और एक बड़ा आधारभूत ढांचा यहां खड़ा किया जा चुका है। इसके अलावा कई बड़े प्रोजेक्ट सरकारी क्षेत्र बना रहा है, जिसके लिए विदेशी एजेंसियों से लोन तक ले रखे हैं। ऐसे में निजी कंपनियों को यहां प्रोत्साहित कैसे किया जा सकता है। इसके अलावा निजी क्षेत्र में बिजली का काम जाएगा, तो यहां बिजली के दामों में भी बढ़ोतरी होगी। अभी सरकार को हर साल 450 करोड़ रुपए से ज्यादा की सबसिडी देकर लोगों को राहत देनी पड़ती है और यदि यह सबसिडी लोगों को नहीं मिलती है, तो यहां बिजली का भारी-भरकम बोझ आम जनता पर पड़ेगा। ऐसे में भी यह बिजली संशोधन प्रदेश हित में नहीं रहेेंगे। इसके अलावा केंद्र सरकार ने नियामक आयोग में पैठ अधिक करने की भी तैयारी की है। राज्यों में गठित बिजली नियामक आयोगों में केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के रूप में सदस्यों की संख्या अधिक करने की बात कही जा रही है, जिससे राज्य सरकार का इसमें ज्यादा दखल नहीं रह पाएगा और बिजली के रेट व दूसरे मसलों पर सीधे केंद्र सरकार की चलेगी। इन हालातों में प्रदेश सरकार की ओर से जवाब का इंतजार किया जा रहा है, जिस पर उसने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है।

सरकार को सुझाव देने के लिए दिया वक्त

राज्य सरकार को सुझाव देने के लिए कुछ और समय दिया गया है और रिमाइंडर भेजकर सुझाव देने को सुनिश्चित बनाने के लिए कहा है। वैसे माना यह भी जा रहा है कि अब केंद्र में मोदी सरकार का आखिरी साल है और इसके बाद सरकार चुनाव में जाएगी। इसके बाद बिजली एक्ट 2003 में संशोधनों के मुद्दे पर क्या होगा, यह तय नहीं है। सभी राज्यों की ओर से केंद्र को इस विषय पर सुझाव भेजे जा रहे हैं। हिमाचल इस पर तैयार होगा या नहीं यह समय बताएगा।