ईवीएम को लेकर दुष्प्रचार 

– स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा

वर्ष 2014 के आम चुनावों के ही समय से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन विवादों में घिरी है।  इसके चलते विपक्ष लगातार मत पत्रों के जरिए चुनाव करवाने की मांग कर रहा है। बहरहाल यह कोई व्यावहारिक एवं विवेकपूर्ण समाधान नजर नहीं आता। आज तकनीकी युग में जहां हर देश आगे बढ़ रहा है, वहां मत पेटियों से चुनावी प्रक्रिया क्रियान्वित करके प्रौद्योगिकी की यात्रा में भारत पीछे नहीं मुड़ सकता है। दूसरी तरफ सरकार और चुनाव आयोग ईवीम में गड़बडि़यों के तमाम दावों को खारिज करता रहा है। चुनाव आयोग ईवीएम पर आरोप लगाने वाले राजनीतिक दलों व नेताओं की शंकाओं को दूर करने के लिए कई मर्तबा ईवीएम से छेड़छाड़ करने की चुनौती दे चुका है। आरोप लगाने वाले दल और लोग इस चुनौती को लेने से भी कतराते हैं, जिससे ईवीएम की निष्पक्षता ही साबित होती है। ईवीएम को लेकर हालिया बवाल में एक अमरीकी सैयद शुजा ने संसद में बैठकर भविष्यवाणी की है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है। इस तरह के आरोप भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली को बदनाम करने के उद्देश्य से प्रेरित दुष्प्रचार प्रतीत होते हैं। हैरानी यह कि भारत के एक बड़े नेता कपिल सिब्बल वहां मौजूद थे और इस तरह उनके प्रवचन सुनते रहे, लेकिन आपत्ति तक जताने की जहमत नहीं उठाई। स्वयंभू साइबर विशेषज्ञ के खिलाफ दिल्ली पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाकर चुनाव आयोग ने ठीक ही किया है। इस मामले की निष्पक्षता से जांच करवाकर दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए, ताकि कोई दूसरा इस तरह से चुनावी प्रक्रिया को कपोलकल्पित दावों के जरिए धूमिल करने की हिमाकत न कर सके।