बच्चों के माता-पिता के प्रति कर्त्तव्य

बच्चों को यह समझना चाहिए कि कैसे माता-पिता इस गलाकाट महंगाई के दौर में, हमें पढ़ा रहे हैं। माता-पिता मेहनत और खून पसीने की कमाई को बच्चों की शिक्षा पर लगा रहे हैं, तो बच्चों का भी यह फर्ज बनता है कि वह दिल लगाकर पढ़ाई करें और कुछ बड़ा बनकर माता-पिता का नाम रोशन करें।

कुछ बच्चे स्कूल कालेज में गलत आदत में फंस जाते हैं और खुद को बर्बाद कर लेते हैं। घर में झूठ बोलकर माता-पिता के खून पसीने की कमाई अयाशी में उड़ाते हैं। आजकल 11-12 साल के बच्चे भी नशा कर रहे हैं। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि बचपन से ही अच्छे संस्कार दें ताकि बच्चे गलती से गलत आदत में न पडं़े। बच्चों पर नजर भी रखें।

यदि कोई संदिग्ध गतिविधि लगे तो तुरंत बच्चों से पूछताछ करें। अभिभावक का डर बच्चों में होना बहुत जरूरी है ताकि कोई भी गलत काम करने से पहले सौ बार सोचें। अपने बच्चे सभी को अच्छे लगते हैं। लाड़-प्यार करें पर एक सीमा में रहकर। ज्यादा लाड़-प्यार से बच्चे अकसर बिगड़ जाते हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों की मित्रमंडली पर भी ध्यान दें। 15 से 25 तक आयु एक ऐसी समस अवधि है, जब बच्चे के बिगड़ जाने की संभावना ज्यादा रहती है। अगर इस आयु सीमा में बच्चा संभल गया तो समझ लो कि वह भविष्य में अच्छा नागरिक बनेगा। देश- प्रदेश के विकास में अपनी भूमिका अच्छे से निभाएगा। आजकल बच्चे सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्ट्राग्राम, व्हाटसेप, में बहुत समय व्यर्थ गंवा देते हैं। ये बच्चों को निर्णय लेना है कि आप 30 वर्ष के बाद की जिदंगी कष्ट में बिताना चाहते हैं या खुशी में। तो विद्यार्थी जीवन में कष्ट झेल लो, मेहनत कर लो, अच्छी पढ़ाई कर लो, ताकि पढ़ाई के तुरंत बाद ही अच्छी नौकरी मिल जाए और आप अपनी जिदंगी खुशी-खुशी जिएं। आपको क्या चुनना है फैसला आपके हाथ में है। कलाम ने ठीक कहा है  कि सपने वह नहीं होते जो हम सोते हुए देखते हैं। सपने वह होते हैं, जो युवावस्था जीवन का एक सुनहरा हिस्सा होता है। हमें इस समय का सदुपयोग करना चाहिए खूब मेहनत करके माता-पिता गांव प्रदेश देश का नाम रोशन करना चाहिए।

– प्रत्यूष शर्मा, पलासन (हमीरपुर )