श्री परशुराम शिव मंदिर में कथा

पंचकूला। श्री परशुराम शिव मंदिर कालका द्वारा मंदिर परिसर में तीन दिवसीय शिव कथा का आयोजन किया गया, जिसमें दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संचालक एवं संस्थापक आशुतोष महाराज की शिष्या कथा व्यास साध्वी मैथिली भारती ने भगवान शिव के शांगार में छिपे आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर किया। भगवान शिव के अद्भुत और विलक्षण शांगार को साधारण बुद्धि से समझ पाना कठिन ही नहीं, असंभव भी है। एक पूर्ण तत्ववेता सदगुरु की कृपा से बह्मज्ञान प्राप्ति के पश्चात ही समझ आता है कि भगवान शिव के हर वस्त्र और अलंकार में एक इशारा है, जो प्रत्येक मानव को जड़ शिव से चैतन्य शिव को प्राप्त करने का संदेश दे रहा है। भगवान भोले नाथ के गले में लिपटे सर्प ये इशारा करते हैं कि कैलाशपति का दर्शन कर काल और माया को जीतने की कोशिश करें। तन पर लगी भस्म और नर कपोलों को धारण कर भगवान शिव जीवन की नश्वरता के बारे में जागरूक करते हैं कि समय के रहते-रहते मानव जीवन के परम ध्येय ईश्वर की प्राप्ति कर लो। जीवन में आने वाली विपत्तियों, संघर्षों से कई बार इनसान घबराकर आत्म हत्या कर लेता है या नशे जैसी बुराई में लग जाता है। परंतु भोले नाथ जटाओं को इकठ्ठा कर सुंदर मुकुट के रूप में सुशोभित कर समझाते हैं कि अपने बिखरे हुए मन को बह्म केंद्र पर इकट्ठा करें। बह्म के अंर्तघट में दर्शनों के पश्चात ही मन ईश्वर में एकचित हो सकता है। इस मौके पर सुमधुर भजनों और चौपाइयों का भी गायन किया गया। कथा का समापन प्रभु की पावन आरती के साथ किया गया।