मुफ्त की बिजली उड़ा रहे कर्मचारी

उत्तराखंड में साल भर में नौ करोड़ रुपए की फ्री बिजली खर्च कर रहे ऊर्जा विभाग के वर्कर

देहरादून – ऊर्जा के तीनों निगमों के दस हजार कर्मचारी, पेंशनर्स सालाना नौ करोड़ की बिजली फ्री में उड़ा रहे हैं। इसका कोई भुगतान नहीं किया जाता। नौ करोड़ के इस घाटे को तीनों निगम बिजली की दरों में शामिल किए जाने को लेकर हर साल विद्युत नियामक आयोग पर दबाव बढ़ा रहे हैं। इन कर्मचारी, पेंशनर्स पर हर साल बढ़ने वाली बिजली दरों का कोई असर नहीं पड़ता। हर साल सिर्फ आम जनता के लिए ही बिजली की दरें बढ़ती हैं। बिजली कर्मचारियों को मिलने वाली इस रियायत से ऊर्जा के निगमों का घाटा बढ़ रहा है। जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। तीनों निगम आयोग को भेजे जाने वाले बिजली दरों के प्रस्ताव में इस खर्च को शामिल करते हैं। इस खर्च की एवज में बिजली दरें बढ़ाने को दबाव बना रहे हैं। इस बारे में विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने कहा कि निगमों के दस हजार कर्मचारी, पेंशनर्स हर साल नौ करोड़ की 20 मिलियन यूनिट बिजली खर्च करते हैं। तीनों निगम हर साल इस खर्च को अपने सालाना टैरिफ में जोड़ने का दबाव बनाते हैं। निगम प्रबंधन को हर कर्मचारी, पेंशनर्स के आवास पर शत प्रतिशत मीटर लगाने और बिल वसूलने के निर्देश दिए गए हैं।

बिजली बिल न के बराबर

कर्मचारी, पेंशनर्स से निगम सिर्फ नाममात्र का बिल लेते हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 78 रुपए, तृतीय व द्वितीय श्रेणी से 120 रुपए, जूनियर इंजीनियर श्रेणी तक 216 रुपये और इससे ऊपर श्रेणी के अफसरों से 300 रुपए महीना ही बिजली बिल वसूला जाता है। इसके बदले असीमित बिजली खर्च करने का अधिकार है।

घरों में सिर्फ नाम के लगे हैं मीटर

पहले कर्मचारियों, पेंशनर्स के यहां बिजली के मीटर भी नहीं लगते थे। नियामक आयोग की हर सुनवाई में इस मसले को उठाने वाले आरकेडिया निवासी वीरु बिष्ट के सवालों के बाद आयोग ने सख्त निर्देश जारी किए। हर कर्मचारी, पेंशनर्स के घर में बिजली का मीटर लगाने की व्यवस्था हुई। अब मीटर तो लगे हैं, लेकिन वो सिर्फ नाम के लिए ही हैं।