‘सृजन सरिता’ का आकर्षक विशेषांक

रचनात्मक साहित्य की त्रैमासिक पत्रिका ‘सृजन सरिता’ का जुलाई-दिसंबर 2018 का दक्षिण भारत विशेषांक पाठकों के समक्ष है। संपादक डा. विजय कुमार पुरी के नेतृत्व में 106 पृष्ठों का यह विशेषांक पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वर्तमान अंक मूल्य 100 रुपए रखा गया है, जबकि त्रैवार्षिक मूल्य 500 रुपए है। इसका संपादकीय दक्षिण भारत विशेषांक पर विशेष सामग्री प्रस्तुत करता है। कहानी खंड में तालाब के किनारे वाला पेड़, एक थी माया, आतंक व जल प्रलय जैसी रोचक कहानियां पाठकों को आकर्षित करती हैं। लघुकथा खंड में बीएल आच्छा व प्रह्लाद श्रीमाली की लघुकथाएं काफी रोचक हैं। आलेख खंड में मध्यकालीन तमिल साहित्य के समकालीन कवित्रय, वाजपेयी की कविताओं में मानवता का विराट रूप, दक्षिण भारत की अग्रणी कथाकारा, तमिलनाडू में हिंदी प्रचार में हिंदी गीतों की भूमिका, कन्नड़ साहित्य में सामाजिक सद्भावना, केरल की आधुनिक हिंदी कविता के बदलते चेहरे, किन्नरों का महापर्व, 11वां विश्व हिंदी सम्मेलन तथा चलो तमिल पढ़ने चलें जैसे आलेख विविध विषयों का सांगोपांग विवेचन करते हैं। इसी तरह काव्य खंड में मातृवंदना, अटल जी की एक चिट्ठी, अजातशत्रु अटल बिहारी वाजपेयी, मैं और मां, शीत ऋतु, भगवान की लीला, वह मंगल वरदान कहां, रास आया मदरास, बोझिल रात, कोमल है कमजोर नहीं, सड़क, भगवान, महाप्रलय, ठूंठ, सुहानी शाम, ऋषभदेव की तेवरियां, पतझर सा यह जीवन जो था, छद्म सच, कुंडलियां, कविता, कुछ कविताएं तथा भारतीदासन कवि की भविष्यवाणी जैसी कविताएं विविध रसों से सराबोर हैं। गजल खंड में महेश कुमार, ज्ञान चंद, सुमन अग्रवाल आदि की गजलें काफी रोचक हैं। आंचलिक भाषा खंड में नवीन हलदूणवी, नीलम शर्मा, नवीन शर्मा, कुशल कटोच, विनोद भावुक, विशाल सिंह व वीरेंद्र शर्मा ने आंचलिक भाषाओं में विविध रसों से सराबोर कविताएं पेश की हैं। इसी तरह गीत खंड, संस्मरण खंड, साक्षात्कार खंड व समीक्षा खंड में भी रोचक सामग्री पिरोई गई है। सहज और सरल भाषा में यह पत्रिका अपनी बात कहती है तथा पाठकों को आह्लादित करती है।