अंजलि ने पहाड़ में थामा स्टेयरिंग

पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की बेटी अंजलि ने सिलाई मशीन छोड़ कर पहाड़ की सर्पीली सड़कों में स्टेयरिंग थाम लिया है। अब हिमाचली बेटी अंजलि देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटकों को पहाड़ों की सैर करवाएगी। विश्व महिला दिवस पर धर्मशाला के नड्डी गांव की बेटी ने अनूठी पहल करते हुए राज्य भर सहित देश की महिलाओं को संदेश दिया है। अंजलि ने लड़कियों और महिलाओं को ड्राइविंग सिखाकर सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। जिससे कि अधिक से अधिक महिलाएं रोजगार व स्वरोजगार प्राप्त कर सकें।

पर्यटन नगरी धर्मशाला-मकलोड़गंज के नड्डी की रहने वाली अंजलि के पिता ओम प्रकाश दुकानदार हैं, जबकि माता गृहिणी है। उनका एक भाई है और छोटी बहन शबनम जमा दो की पढ़ाई कर रही है। अंजलि का जन्म 13 सितंबर, 1997 को हुआ। जमा दो तक की पढ़ाई फरेस्टगंज स्कूल में करने के बाद अंजलि ने बेटियों के लिए पारंपरिक तरीके से किए जाने वाले कार्य में महारत हासिल की। उन्होंने सिलाई सेंटर में प्रशिक्षण प्राप्त कर सिलाई-कढ़ाई का कार्य सिखा, लेकिन अंजलि के हौसले सिलाई के मशीन तक थमने वाले नहीं थे। इसके चलते अंजलि ने एनजीओ व अपने परिवार के सहयोग से गाड़ी चलाना सीखा। अंजलि जल्द ही पूरी तरह से महिला टैक्सी का संचालन करेगी, साथ ही अपने साथ अन्य युवतियों को भी जोड़कर महिला टैक्सी एसोसिएशन का भी गठन करेगी। जो कि पर्यटन नगरी धर्मशाला-मकलोड़गंज में महिलाओं सहित अन्य पर्यटकों को आरामदायक सफर करवाएगा। अंजलि ने विश्व महिला दिवस के मौके पर पर्यटन नगरी धर्मशाला में एक नई पहल करते हुए हाथों में स्टेयरिंग थाम कर टैक्सी चलाने का साहसी निर्णय लिया। अंजलि क्षेत्र की पहली महिला टैक्सी चालक बन गई है। एजुकेयर इंडिया संस्था ने अंजलि की उम्मीदों को पंख लगाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंजलि के साथ ही यह संस्था आने वाले समय में अन्य युवतियों को इस फील्ड में लाकर नई पहल कर रही है। धर्मशाला में करीब आधा दर्जन और युवतियां ड्राइविंग सीख रही हैं, जो आने वाले दिनों में अंजलि के साथ मिलकर महिला टैक्सी एसोसिएशन धर्मशाला के बैनर तले टैक्सी चलाएंगी। पहाड़ की बेटियों के जज्बे से प्रभावित और उन्हें बेहतर सुविधा देने के लिए नगर निगम धर्मशाला और कांगड़ा जिला प्रशासन ने उन्हें बस स्टैंड धर्मशाला के निकट टैक्सी स्टैंड बनाने को स्थान भी मुहैया करवा दिया है, जिससे उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो।

महिलाओं को सुरक्षित यातायात सुविधा देंगी

पहली टैक्सी महिला चालक बनी अंजलि ने दिव्य हिमाचल से बातचीत करते हुए कहा कि महिला सवारियों को सुरक्षित यातायात सुविधा देने के साथ-साथ वह कुछ नया करके दिखाना चाहती हैं। साधारण परिवार से संबंध रखने वाली अंजलि का कहना है कि इससे पहले उन्होंने सिलाई का भी कार्य किया है। अब नए एवं अनोखे कार्य के लिए उन्हें परिजनों का भी सकारात्मक सहयोग मिला है। वह तभी अपनी इस मंजिल की ओर बढ़ पा रही हैं। उन्होंने कहा कि महिला सवारियां असुरक्षित महसूस करती हैं। ऐसे में उन्हें सेफ और सुरक्षित यातायात सुविधा देने के लिए वह प्रयास करेंगी। अंजलि ने कहा कि वह ओर अधिक लड़कियों को वाहन चलाने का प्रशिक्षण प्रदान करेगी। जिससे लड़कियों को नौकरी के लिए भी नहीं भटकना पड़ेगा, जो गाड़ी चलाने का शौक रखती हैं वह इस फील्ड में आसानी से उतर सकती हैं।

मुलाकात : हमेशा अपने काम के प्रति ईमानदार रहो…

नया प्रोफेशन आपके लिए क्या मायने रखता है?

जिंदगी में एक नया अनुभव सीखने को मिल रहा है, जो इससे पहले कभी नहीं हुआ।

इस व्यवसाय को चुनने की वजह या आकर्षण क्या रहा?

गाड़ी चलाने का शौक पहले से ही था, फिर परिवार, मेरे भाई जो कि खुद भी टैक्सी चालक हैं, और एनजीओ ने प्रेरित किया तो फिर टैक्सी चालक बनने की ठान ली।

ड्राइविंग सीखना अलग बात है। यहां तो आपको टैक्सी चलानी है, तो कौन सी चुनौतियां व सावधानियां सामने रखती हैं?

आज के समय में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं, ऐसे में अपनी पूरी ऊर्जा और लग्न के साथ टैक्सी चला रही हूं। ताकि पर्यटकों को सुविधा मिल सके।

पुरुष चालक से कितना भिन्न होती है महिला?

महिलाएं जल्दबाजी में वाहन चलाने की बजाय आराम से चलाती हैं, जो आरामदायक भी रहता है।

आपके लिए काम में आनंद की परिभाषा क्या है?

जब सवारियों को उनकी सुविधानुसार उनके गंतव्य तक पहुंचा सकूं।

कल जब आपके साथ दर्जन भर लड़कियां टैक्सी चला रही होंगी, तो परिदृश्य में क्या परिवर्तन देखती हैं?

मेरा लक्ष्य है कि मैं अपने साथ अन्य लड़कियों को भी टैक्सी चलाना सिखाऊं, जिससे हमें रोजगार व स्वरोजगार की कमी न सता सके।

समय के दबाव और आत्मरक्षा के हिसाब से आपकी अपनी शक्ति और अनुशासन क्या है?

अपने काम के प्रति ईमानदारी रखना।

कोई रोल मॉडल ?

मेरे भाई शोमेश।

महिला टैक्सी चालक बनकर आप खुद को कितना भिन्न पाती हैं?

मैं अपने आप को भिन्न नहीं मानती, मैं अपना काम कर रही हूं, जिसे लेकर में पूरी तरह से सहज हूं।

क्या समाज की निगाहों में यह प्रोफेशन चुनना आसान रहा या आरंभ में रुकावटें रहीं?

नहीं परिवार में भाई भी टैक्सी चलाते हैं, तो कोई परेशानी नहीं हुई।

अपनी हम उम्र लड़कियों या औरतों को आत्मनिर्भर बनने के लिए आपका संदेश?

आपको जो काम अच्छा लगे, उसे सही तरीके व लग्न से करते रहें।

एक दक्ष टैक्सी ड्राइवर बनने की प्रमुख तीन शर्तें क्या हैं?

आत्मविश्वास, सावधान रहना और सवारियों की जरूरत को समझना।

खुद पर कितना गर्व महसूस करती हैं?

अभी मात्र शुरुआत की है, आगे बहुत से लक्ष्य हासिल करने बाकी हैं।

दिन भर के तनाव को कम करने के लिए क्या करती हैं। कोई पहाड़ी गीत गुनगुनाती हैं या रेडियो पर जो पसंद आता है?

 फिल्में देखना, रेडियो सुनना और पहाड़ी व गद्दियाली गीत भी गुनगुनाना पंसद हैं।

जीवन के प्रति आपकी उड़ान और वास्तविक लक्ष्य है क्या?

एक आत्मनिर्भर महिला बनकर समाज में आगे बढ़ना लक्ष्य है।

– नरेन कुमार, धर्मशाला