चंबा के सेशन जज को नोटिस

हाई कोर्ट ने मांगा जवाब, मुंह से शराब की गंध आने पर आरोपी की जमानत याचिका रद्द करने का फैसला किस कानून का हिस्सा

शिमला – कोर्ट की कार्यवाही के दौरान मात्र आरोपी के मुंह से आने वाली शराब की गंध उसकी जमानत याचिका रद्द करने का आधार नहीं हो सकती। एक मामले पर टिप्पणी करते हुए न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने कहा कि यह समझना मुश्किल है कि सत्र न्यायाधीश ने किस प्रावधान व कानून के अंतर्गत प्रार्थी की याचिका रद्द कर दी। अगर जमानत याचिका रद्द ही करनी थी, तो इसे केवल कानून के प्रावधानों के अंतर्गत ही रद्द किया जा सकता था। हाई कोर्ट ने साथ ही सत्र न्यायाधीश चंबा को कारण बताओ नोटिस जारी कर यह पूछा है कि उन्होंने किस प्रावधान के तहत प्रार्थी की जमानत रद्द कर दी। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार जब मामला गवाही के लिए सत्र न्यायाधीश चंबा की अदालत के समक्ष लगा था, तो सत्र न्यायाधीश ने पाया कि प्रार्थी के मुंह से शराब की गंध आ रही है। सत्र न्यायाधीश ने प्रार्थी की जमानत यह कहकर रद्द कर दी कि प्रार्थी का व्यवहार इन हालातों में अदालत के समक्ष संतोषजनक नहीं है और वह जमानत के लिए अदालत की विवेकाधीन जैसी राहत का आनंद उठाने का अधिकार नहीं रखता है। इस कारण सत्र न्यायाधीश ने उसकी जमानत याचिका रद्द कर दी थी। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने के आदेश भी दिए।